'जयेशभाई जोरदार'... जोर का झटका


  • राइटिंग-डायरेक्शन: दिव्यांग ठक्कर
  • म्यूजिक: विशाल-शेखर
  • एडिटिंग: नम्रता राव
  • सिनेमैटोग्राफी: सिद्धार्थ दीवान
  • लिरिक्स: जयदीप साहनी, कुमार, वायु
  • बैकग्राउंड म्यूजिक: संचित बल्हारा, अंकित बल्हारा
  • एडिशनल स्क्रीनप्ले: अंकुर चौधरी
  • स्टार कास्ट: रणवीर सिंह, शालिनी पांडे, बोमन ईरानी, रत्ना पाठक शाह, जिया वैद्य, पुनीत इस्सर 
  • रन टाइम: 121 मिनट  

गुजरात की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म 'जयेशभाई जोरदार' कन्या भ्रूण हत्या और लैंगिक असमानता जैसे गंभीर मुद्दों पर आधारित है, लेकिन कमजोर लेखन और लचर निष्पादन के कारण यह एक बेहद उबाऊ फिल्म है। विषय भी नया नहीं है और इसके एग्जीक्यूशन में घिसा-पिटा फॉर्मूला ही अपनाया गया है। यह न तो पूरी तरह से गंभीर सिनेमा है और न ही प्रॉपर कॉमेडी। यह दोनों जॉनर के बीच संघर्ष करती एकदम सपाट फिल्म है, जो एंटरटेनमेंट और ह्यूमर क्रिएट करने में विफल है। खास बात यह है कि इसके ट्रेलर में जो कुछ दिखाया जा चुका है, उससे ज्यादा फिल्म में दिखाने को कुछ नहीं है। 

कहानी गुजरात के प्रवीणगढ़ के जयेशभाई की है। वह 9 वर्ष की बेटी का पिता है और जल्द ही एक बार फिर से पिता बनने वाला है। लेकिन, जिस समाज और परिवेश में वह रहता है, वहां के लोगों की रूढ़िवादी मानसिकता है। यहां बेटी का पैदा होना 'अभिशाप' से कम नहीं है। जयेशभाई के माता-पिता परिवार का वारिस चाहते हैं, वह भी बेटा। जब जयेश की गर्भवती पत्नी मुद्रा की जांच कराई जाती है तो पता चलता है कि वह लड़की को जन्म देने वाली है। जयेश अपने पिता से इतर सोच रखता है। ऐसे में जयेश अपनी अजन्मी संतान को बचाने के लिए पत्नी मुद्रा और बेटी सिद्धि के साथ घर छोड़कर निकल पड़ता है। मगर, अपने माता-पिता और गांव के लोगों से पीछा छुड़ाना उसके लिए इतना आसान नहीं है। उसके पिता अपने साथियों सहित उनकी तलाश में निकल पड़ते हैं...।  

स्क्रिप्ट एकदम नीरस है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग नहीं है। दिव्यांग ठक्कर का निर्देशन कामचलाऊ है। उनकी पेशकश ऐसी नहीं है, जिससे दो घंटे तक जुड़ाव बना रहे और सिनेमाघर से निकलने के बाद भी इसके मैसेज पर चर्चा हो। यानी उनकी पकड़ फिल्म से कब छूट जाती है, इसका आभास शायद उन्हें खुद ही नहीं रहा होगा। फिल्म की कहानी जितनी बोरिंग है, उतनी ही सुस्त इसकी गति है। गीत-संगीत निराश करता है। सिनेमैटोग्राफी उपयुक्त है। रणवीर सिंह की परफॉर्मेंस ठीक है। उन्होंने गुजराती स्टाइल को पकड़ने की अच्छी कोशिश की है। बोमन ईरानी असरदार लगे हैं, पर वह थोड़े लाउड हैं। शालिनी पांडे अपनी भूमिका में फिट हैं लेकिन उनमें आत्मविश्वास की कमी झलकती है। रत्ना पाठक शाह का किरदार सीमित है, वह कुछ अलग नहीं कर सकीं। जिया का चुलबुलापन इम्प्रेस करता है। कुछ अच्छे मोमेंट्स हैं, वह तभी हैं, जब वह परदे पर दिखती है। पुनीत इस्सर ठीक लगे हैं। बहरहाल, 'जयेशभाई...' जोरदार नहीं, 'बोर'दार यानी रसहीन जरूर है।  

रेटिंग: ★½