'भूल भुलैया' में 'रूह' की आहट है मनोरंजन की 'रीत'
- डायरेक्शन: अनीस बज्मी
- स्टोरी-स्क्रीनप्ले: आकाश कौशिक
- डायलॉग्स: फरहाद सामजी, आकाश कौशिक
- म्यूजिक: प्रीतम, तनिष्क बागची
- सिनेमैटोग्राफी: मनु आनंद
- एडिटिंग: बंटी नागी
- लिरिक्स: अमिताभ भट्टाचार्य
- बैकग्राउंड स्कोर: संदीप शिरोडकर
- स्टार कास्ट: कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, तब्बू, राजपाल यादव, संजय मिश्रा, राजेश शर्मा, अमर उपाध्याय, अश्विनी कलसेकर, मिलिंद गुनाजी, गोविंद नामदेव, समर्थ चौहान, महक मनवानी
- रन टाइम: 143 मिनट
'भूल भुलैया' फ्रेंचाइजी की अनीस बज्मी निर्देशित फिल्म 'भूल भुलैया 2' में हॉरर प्लस कॉमेडी का फॉर्मूला है। 2007 में आई प्रियदर्शन की फिल्म 'भूल भुलैया' का 'मंजूलिका' नामक चुड़ैल का किरदार इसमें जरूर है, लेकिन यह उससे इतर है। 'भूल भुलैया 2' की कहानी, स्टार कास्ट और निर्देशक सब 'नए' हैं। यानी स्टार कास्ट में सिर्फ राजपाल यादव को ही रिपीट किया गया है। यह अनीस बज्मी स्टाइल की फिल्म है, ऐसे में स्क्रीन पर जो चल रहा है, उसके पीछे के लॉजिक को ढूंढने में जरा भी दिमाग के घोड़े दौड़ाए तो जो एंटरटेनमेंट की डोज मिल रही थी, वह बेअसर-सी महसूस होने लगेगी। फिल्म में कहानी की सिचुएशन, किरदारों की धमा-चौकड़ी और कॉमिक पंच हंसने-मुस्कुराने का मौका देते हैं। हां, फिल्म डराती तो नहीं है। रूहान रंधावा (कार्तिक आर्यन) और रीत (कियारा आडवाणी) की अजीब परिस्थिति में मुलाकात होती है। रूहान फन लविंग इंसान है। वह ट्रैवलर है और जीवन का हर पल खुलकर जीने में यकीन रखता है जबकि रीत ने मेडिकल की पढ़ाई की है और वह अपने घर लौट रही है, क्योंकि घर पर उसकी शादी की तैयारी चल रही है। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि दोनों रीत की पुश्तैनी हवेली पहुंच जाते हैं। यह हवेली 18 साल से बंद है। वजह है मंजूलिका की बुरी आत्मा, जिसे यहां तंत्र-मंत्र की मदद से एक कमरे में कैद किया हुआ है। तब से रीत की फैमिली इस हवेली को छोड़कर दूसरे घर में रहती है। रीत और रूहान के हवेली में एंट्री के बाद कहानी में कई दिलचस्प मोड़ आते हैं...।
कहानी साधारण है, नयापन कुछ नहीं है। स्क्रीनप्ले डगमगाता है, पर इसे एंगेजिंग बनाए रखा है। कई मजेदार सीन के साथ इस 'ड्रामे' में उतार-चढ़ाव हैं। निर्देशक अनीस बज्मी ने अपने तरीके के ट्रीटमेंट से कहानी की कमियों को दरकिनार कर फिल्म को मनोरंजन के ट्रैक से ज्यादा भटकने नहीं दिया। हॉरर, कॉमेडी, रोमांस और चुटीले संवादों के जरिये उन्होंने पकड़ को कमजोर नहीं पड़ने दिया। इसमें उनका साथ कलाकारों के 'झुंड' ने दिया है, जो कहानी की सिचुएशन पर अपनी फनी हरकतों से गुदगुदाते रहते हैं। इंटरवल पॉइंट जोरदार है। उसके बाद कुछ डल मोमेंट्स आते हैं, पर जल्द ही फिल्म ट्रैक पर लौट आती है। फिल्म का क्लाइमैक्स जल्दबाजी में निपटाया गया है। यह थोड़ा बेहतर हो सकता था। संपादन सुस्त है। इस कारण फिल्म की लंबाई थोड़ी चुभन देती है। गीत-संगीत कमजोर कड़ी है। बैकग्राउंड स्कोर माहौल बनाए रखता है। लोकेशंस और सिनेमैटोग्राफी गजब की है। कार्तिक आर्यन पूरे कॉन्फिडेंस के साथ 'रूह बाबा' के अवतार में हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग जोरदार रही है। उनके एक्सप्रेशंस भी गजब के हैं। कियारा आडवाणी की अदायगी तो ठीक है, मगर उनको प्रॉपर स्क्रीन स्पेस नहीं मिलना खलता है। तब्बू इस फिल्म की 'रूह' हैं। एक बार फिर उन्होंने उम्दा अदाकारी की बानगी पेश की है। दूसरे हाफ की तो वह 'हीरो' हैं। राजपाल यादव, संजय मिश्रा, राजेश शर्मा और अश्विनी कलसेकर एंटरटेन करते हैं, पर कहीं-कहीं लाउड भी लगते हैं। अमर उपाध्याय और मिलिंद गुनाजी कुछ खास नहीं कर सके। मास्टर समर्थ चौहान ने अपना पार्ट बखूबी निभाया है। बहरहाल, इस 'भूल भुलैया' में ह्यूमर और हॉरर के कॉकटेल की बीच अच्छी अदाकारी भी मिलेगी। भुतहा हवेली में होने वाली धमा-चौकड़ी आनंद की अनुभूति कराएगी।
रेटिंग: ★★★
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