यामी सरप्राइज पैकेज, पर 'अ थर्सडे' एक एवरेज थ्रिलर
- बैनर: आरएसवीपी, ब्लू मंकी फिल्म्स
- जॉनर: थ्रिलर
- राइटिंग-डायरेक्शन: बेहजाद खंबाटा
- स्टोरी-स्क्रीनप्ले: एशले माइकल लोबो, बेहजाद
- डायलॉग्स: विजय मौर्य
- सिनेमैटोग्राफी: अनुज राकेश धवन, सिद्धार्थ वासानी
- एडिटिंग: सुमित कोटियन
- म्यूजिक-ओरिजनल बैकग्राउंड स्कोर: रोशन दलाल, कैजाद घेरडा
- एक्शन डायरेक्टर: विक्रम दहिया(बंटी)
- प्रोडक्शन डिजाइन: मधुसूदन एन
- कॉस्ट्यूम डिजाइन: आयशा खन्ना
- साउंड डिजाइन: परीक्षित लालवानी, कुणाल उदय मेहता
- आर्ट डायरेक्शन: महक कौर सोढ़ी, दीपक मिस्त्री
- स्टार कास्ट: यामी गौतम धर, अतुल कुलकर्णी, नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया, करणवीर शर्मा, माया सराव, कल्याणी मुले, बोलोरम दास, सुकेश आनंद, आदि ईरानी, शुभांगी लाटकर, दिवजोत कौर सोढ़ी, मिकी मखीजा, असीम शर्मा, राज कुमार शर्मा, शैलेंद्र गौर, दिनेश कौशिक, युग पांड्या, हार्दिका शर्मा, जिडान ब्रज, कैजान खंबाटा, दीया जैन
- रनिंग टाइम: 128.58 मिनट
फिल्म 'अ थर्सडे' के टाइटल से आप अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाकर कहीं यह मत समझ बैठना कि यह नीरज पांडे निर्देशित फिल्म 'अ वेडनेसडे' का सीक्वल है। तो यहां आपको स्पष्ट कर दें कि ऐसा कतई नहीं है। बस, दोनों ही फिल्मों के ब्लूप्रिंट में इतनी समानता जरूर है कि दोनों का इरादा सिस्टम पर चोट करना है और उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाना है। दरअसल, 'अ थर्सडे' एक ऐसी युवती के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका सिस्टम से भरोसा उठ गया है। अपने साथ हुए अन्याय के कारण उसका मानना है कि 'इस देश में लोग जानबूझकर बहरे बने घूमते हैं। जब तक कान में न चीखो, किसी की गर्दन नहीं मुड़ती।' 'बहरे' हो चुके सिस्टम को जगाने के लिए वह ऐसा तरीका अपनाती है, जो गैर-कानूनी है। अच्छे आगाज के बाद बीच में मूवी फिसल जाती है। अंजाम से काफी पहले रोमांच के सारे तार खुल जाते हैं और यह सरप्राइज नहीं, बनावटी थ्रिलर बन कर रह जाती है। अक्सर बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में ऐसी ही कमजोरियों का शिकार होती हैं और इसमें कोई नई बात नहीं है।
दांव पर 16 मासूमों की जान
तीस वर्षीय नैना जायसवाल (यामी गौतम) मुंबई के कोलाबा में प्ले स्कूल चलाती है। यह प्ले स्कूल उसके मंगेतर के घर के एक हिस्से में है। वह तीन हफ्ते की सिक लीव के बाद गुरुवार को लौटी है। अपनी पसंदीदा टीचर को देखकर बच्चे खुश हैं। स्कूल में नैना और बच्चों के अलावा और कोई नहीं है। वह बच्चों को दुलारती है। उनके साथ खेलती है और उन्हें उनके पसंदीदा कार्टून दिखाती है। इस बीच, वह पुलिस स्टेशन में फोन करके बताती है कि उसने 16 बच्चों को बंधक बना लिया है। उसकी कुछ डिमांड्स हैं। एसीपी कैथरीन एल्वारेज (नेहा धूपिया) के नेतृत्व में पुलिस जब स्कूल की बिल्डिंग के बाहर आती है तो नैना फायर करती है और पुलिस से कहती है कि उसे सुपर कॉप जावेद खान (अतुल कुलकर्णी) से बात करनी है। जावेद के आने पर वह 5 करोड़ रुपए की मांग रखती है। साथ ही वॉर्निंग देती है कि अगर एक घंटे में मांग नहीं मानी गई तो एक बच्चे की जान से हाथ धोना पड़ सकता है। फिर शुरू होता है डिमांड्स का सिलसिला...।
एक जवाब और रोमांच गायब...
एक अच्छी थ्रिलर फिल्म के लिए पटकथा में कसावट होना बेहद जरूरी है ताकि हर गुजरने वाला सीन अगले दृश्य के लिए कौतूहल बनाए रखे। मगर, अधपके स्क्रीनप्ले के कारण निर्देशक बेहजाद खंबाटा शुरुआत से अंत तक रोमांच का टोन बरकरार रखने में चूक गए। 'अ थर्सडे' तभी तक अपने थ्रिल में बांधे रखती है, जब तक पता नहीं चलता कि नैना ने नन्हे-मुन्नों को क्यों बंधक बना रखा है, लेकिन जैसे ही इस सवाल का जवाब मिलता है, फिल्म तमाम रोमांच खो देती है। फिल्म एक गंभीर प्रासंगिक और संवेदनशील मुद्दे को भी छूती है, पर तर्क की कसौटी को दरकिनार करती है। फिल्म में नैना की बैक स्टोरी तो सटीक है लेकिन जावेद और कैथरीन की एक बैक स्टोरी भी बताई है, जो गैर जरूरी मालूम पड़ती है। पत्रकार शालिनी गुहा (माया सराव) का ट्रैक भी कमजोर है। सेकेंड हाफ में चुस्त एडिटिंग की कमी खलती है। बैकग्राउंड स्कोर कहीं-कहीं बहुत खटकता है। सिनेमैटोग्राफी एवरेज है। क्लोज-अप शॉट्स बचकाने लगते हैं। कहानी में टेक्निकल डिटेलिंग की कमी है। अंत में यह बताया जाता है कि जितनी देर में आपने यह फिल्म देखी, उतनी देर में देश में आठ बलात्कार की घटनाएं हो चुकी हैं!
सिचुएशन पर स्विच
यामी गौतम धर कॅरियर में पहली बार इतनी सशक्त भूमिका में हैं। परफॉर्मेंस बढ़िया है। सिचुएशन के अनुसार उनकी आंखों और चेहरे के हाव-भाव अच्छे हैं। बच्चों के साथ मासूमियत से बात करते-करते जिस तरह वह स्विच करके जुनूनी और खतरनाक हो जाती है, वह दिलचस्प और देखने लायक है। फिल्म में उनके कुछ सीन काफी अच्छे बन पड़े हैं। पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में अतुल कुलकर्णी परफेक्ट हैं। प्रेग्नेंट पुलिस ऑफिसर के रोल में नेहा धूपिया सराहनीय हैं। इस फिल्म की शूटिंग करते समय वह रीयल लाइफ में प्रेग्नेेंट थीं। प्रधानमंत्री माया राजगुरु के किरदार में डिंपल कपाड़िया ठीक हैं। करणवीर शर्मा, कल्याणी मुले, बोलोरम दास व अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ओके है। जिस मुद्दे को यह फिल्म उठाती है, उस पर पहले भी कई फिल्में बनी हैं। रोमांच के साथ इमोशंस का कार्ड भी खेला गया है। बहरहाल, अगर आप हॉस्टेज ड्रामा वाली फिल्में पसंद करते हैं और यामी गौतम को कुछ नया करते देखना चाहते हैं तो 'अ थर्सडे' देख सकते हैं। नहीं भी देखेंगे तो कुछ मिस नहीं करेंगे।
रेटिंग: ★★½
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