83... एक खूबसूरत एहसास, अब सिनेमाई स्क्रीन पर भी विनर


  • डायरेक्शन: कबीर खान
  • स्टोरी-स्क्रीनप्ले: कबीर खान, संजय पूरण सिंह चौहान, वासन बाला
  • डायलॉग्स: कबीर खान, सुमित अरोड़ा
  • जॉनर: स्पोर्ट्स
  • म्यूजिक: प्रीतम
  • एडिटिंग: नितिन बैद
  • सिनेमैटोग्राफी: असीम मिश्रा
  • बैकग्राउंड स्कोर: जूलियस पैकियम
  • लिरिक्स: कौसर मुनीर, प्रशांत इंगोले, जयदीप साहनी
  • स्टारकास्ट: रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, साकिब सलीम, पंकज त्रिपाठी, ताहिर राज भसीन, जीवा, जतिन सरना, चिराग पाटिल, हार्डी संधू, दिनकर शर्मा, निशांत दहिया, साहिल खट्टर, एमी विर्क, आदिनाथ कोठारे, धैर्य करवा, आर बद्री, बोमन ईरानी, नीना गुप्ता, बृजेन्द्र काला, राजीव गुप्ता, वामिका गब्बी, अदिति आर्या, मोहिंदर अमरनाथ, कपिल देव
  • रनिंग टाइम: 163 मिनट

25 जून 1983... यह वो तारीख है जो इंडियन क्रिकेट हिस्ट्री में अविस्मरणीय है। लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इंडिया ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता था। वह भी तब, जब टीम अंडरडॉग के रूप में विश्व कप खेलने गई थी। इस ऐतिहासिक जीत की कहानी सिनेमाई स्क्रीन पर '83' में पेश की गई है। '83' उस जीत के सुनहरे खूबसूरत लम्हे का एहसास कराती है, जिसने देश के लोगों को क्रिकेट का दीवाना बना दिया। फिल्म में जोश और जज्बे से भरी यह कहानी भारतीय क्रिकेट टीम के प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड जाने से शुरू होती है। किसी को भी टीम से कोई उम्मीद नहीं है। यहां तक कि कप्तान कपिल देव की कप्तानी पर भी भरोसा नहीं है। इतना ही नहीं, भारतीय टीम की वापसी की टिकटें सेमीफाइनल मैच से पहले की बुक हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब कप्तान कपिल देव कहते हैं- 'वी हीयर टू विन', तो उनका मखौल उड़ाया जाता है। कहानी में मजबूत इरादों के साथ घबराहट, खौफ के क्षणों समेत उन इमोशंस को भी पिरोया है, जो टीम ने महसूस किए थे। '83' के क्लाइमैक्स सीन के बाद कप्तान कपिल देव साझा करते हैं कि 'उस पूरी रात कोई सोया नहीं था। पूरे देश के लिए वह एक ऐसी खुशी थी, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता'।    

कबीर खान कुशल 'कप्तान'

कबीर खान ने निर्देशकीय कुशलता से पिच और ड्रेसिंग रूम से लेकर ग्राउंड के बाहर तक के माहौल में बैलेंस रखा है। फिल्म में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो मसाले के लिए डाली गई हैं। इस कारण कुछ सीन बनावटी जरूर लगते हैं। फिल्म फर्स्ट से लेकर लास्ट फ्रेम तक बांधे रखती है। कबीर का डायरेक्शन वाकई काबिले-तारीफ है। उन्होंने इस स्पोर्ट्स ड्रामा का एग्जीक्यूशन प्रभावशाली ढंग से किया है। उन्होंने वॉर्मअप मुकाबलों से लेकर विश्व कप टूर्नामेंट में भारत के हर मैच को सिनेमाई पर्दे पर रोचक अंदाज में दिखाया है। चाहे मैच से पहले का माहौल हो या फिर खिलाडिय़ों की मनोदशा और उनका फनी साइड, सभी को दिलचस्प बनाए रखा है। फील्ड और ड्रेसिंग रूम की टेंशन के साथ ही खिलाड़ियों के इमोशनल एंगल को भी बखूबी तवज्जो दी गई है। इंटरेस्टिंग यह है कि सचिन तेंदुलकर के किरदार को 'बचपन' में मैच का आनंद लेते हुए फिल्म से कनेक्ट किया है। स्क्रीन राइटिंग कसी हुई है। फिर भी कुछ सीक्वेंस थोड़ा खिंचे हुए लगते हैं, जो शार्प एडिटिंग से ट्रिम हो सकते थे। इसके बावजूद रोमांच बरकरार रहता है। म्यूजिक जरूर उस 'जोश' के अनुरूप नहीं है, जो इस फिल्म की दरकार थी। 'लहरा दो...' एक साधारण गाने से ज्यादा नहीं है। बैकग्राउंड स्कोर असरदार है। सिनेमैटोग्राफर असीम मिश्रा ने रीक्रिएट की गई घटनाओं को अपने कैमरे से 'वास्तविक' की तर्ज पर कैद किया है। 

वेल प्लेड... फ्रंटफुट पर रणवीर एंड टीम

सभी एक्टर्स ने ईमानदारी से अपने किरदार को बखूबी निभाया है। रणवीर सिंह ने कपिल देव के हाव-भाव, बोलने का अंदाज, बॉलिंग एक्शन और बैटिंग स्टांस को अच्छी तरह से कॉपी किया है। पंकज त्रिपाठी फुल फॉर्म मेें हैं। टीम मैनेजर पीआर मान सिंह के रूप में फिल्म में उनकी मौजूदगी फील गुड देती है। कपिल की पत्नी रोमी के रोल में कम स्क्रीन स्पेस में भी दीपिका पादुकोण इम्प्रेसिव हैं। फिल्म में टीम '83' के हर प्रमुख सदस्य के किरदार को पर्याप्त फुटेज देने की कोशिश की है। के. श्रीकांत के रोल में जीवा माइंड ब्लोइंग हैं। मोहिंदर अमरनाथ की भूमिका में साकिब सलीम, सुनील गावस्कर के रोल में ताहिर राज भसीन और यशपाल शर्मा के किरदार में जतिन सरना सबसे ज्यादा चमके हैं। चिराग पाटिल, हार्डी संधू और एमी विर्क की भी एक्टिंग के पिच पर परफॉर्मेंस जानदार है। बहरहाल, 38 साल पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप विजेता बनकर लोगों का दिल जीता  और अब स्क्रीन पर '83' टीम उसे दोहराने में कामयाब रही है। लिहाजा '83' एक देखने लायक फिल्म है।

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