रॉकिंग स्टार के स्वैग और एक्शन से लबरेज सीटीमार सिनेमा
- राइटिंग-डायरेक्शन: प्रशांत नील (Prashanth Neel)
- सिनेमैटोग्राफी: भुवन गौडा
- एडिटिंग: उज्ज्वल कुलकर्णी
- म्यूजिक-बैकग्राउंड स्कोर: रवि बसरूर
- एक्शन: अनबरीव
- स्टार कास्ट: यश (Yash), संजय दत्त (Sanjay Dutt), श्रीनिधि शेट्टी (Srinidhi Shetty), रवीना टंडन (Raveena Tandon), प्रकाश राज (Prakash Raj), मालविका अविनाश, राव रमेश, ईश्वरी राव, अर्चना जोइस, अयप्पा पी. शर्मा, टी. एस. नागभरण
- रन टाइम: 168.06 मिनट
फिल्म 'के.जी.एफ.- चैप्टर 2' (K.G.F – Chapter 2) हाई ऑक्टेन एक्शन, थ्रिलर, डायलॉग्स और स्वैग से भरपूर पेशकश है। फिल्म में रॉकिंग स्टार यश जिस भी फ्रेम में आते हैं, एकदम छा जाते हैं। यश के एक्शन सीक्वेंस हों या फिर डायलॉगबाजी, जमकर तालियां और सीटियां बजती हैं। यश के अलावा भी फिल्म में कई सीटीमार सीक्वेंस हैं। बहरहाल, वर्ष 2018 में आई फिल्म 'के.जी.एफ.- चैप्टर 1' (K.G.F – Chapter 1) की कामयाबी के बाद से इसके दूसरे पार्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था और यह फिल्म उम्मीदों पर काफी हद तक खरी उतरी है। यह ओवरऑल एलीवेटेड मास एक्शन एंटरटेनर है। फिल्म में लीड किरदार रॉकी का इमोशनल साइड भी दिखाया है, जिसमें उसकी लव स्टोरी और बीती जिंदगी यानी 'बचपन' में मां-बेटे के भावनात्मक ट्रैक की कुछ झलकियों को पिरोया गया है। पूरी फिल्म यश मय है। इतना ही नहीं, अंत में मेकर्स ने दर्शकों की बेचैनी बढ़ाते हुए 'चैप्टर 3' का संकेत भी दे दिया है।
'केजीएफ 2' की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां 'चैप्टर 1' खत्म हुई थी। गरुडा को मारने के बाद अब रॉकी (यश) कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ) का नया सुल्तान बन गया है। वह पूरी दुनिया पर राज करना चाहता है। खदान में काम करने वाले लोग उसे 'मसीहा' मानते हैं, क्योंकि रॉकी ने उनकी बेड़ियां तोड़ी हैं और उन्हें एक नई जिंदगी दी है। इधर, अधीरा (संजय दत्त) नई चुनौती बन कर रॉकी के सामने आता है। वह केजीएफ वापस चाहता है। यही नहीं, रॉकी अब प्रधानमंत्री रमिका सेन के रडार पर भी है। वह उसका चैप्टर और नामोनिशान मिटा देना चाहती है।
निर्देशक प्रशांत नील ने जिस तरह दर्शकों की 'नब्ज को पकड़ते हुए' एंटरटेनमेंट की डोज का 'रॉकिंग' पैकेज प्रस्तुत किया है, उसके लिए वह वाकई तारीफ के हकदार हैं। रॉकी की जर्नी को बड़े ही करीने और दिलचस्प अंदाज में दर्शाया है। स्क्रीनप्ले लुभावना है। क्लाइमैक्स गजब का है। फिल्म का एक्शन प्लस पॉइंट है। निर्देशक का पूरा जोर भी एक्शन सीक्वेंस पर रहा है। कहानी में झोल जरूर हैं, अगर इनके बारे में जरा भी सोच-विचार में उलझ गए तो स्वैग और एक्शन का मजा मिस हो जाएगा। वैसे भी यह कैरेक्टर ड्रिवन मूवी है। रॉकी स्क्रीन पर नहीं है तो भी रॉकी की ही बात चलती है। यानी रॉकी का किरदार इतने स्ट्रॉन्ग तरीके से दिमाग में बैठ जाता है कि स्क्रीन पर उसके अलावा किसी और किरदार की कल्पना करना मुश्किल है। भारी-भरकम मशीनगन यानी 'मशीनगन की मां' से पुलिस स्टेशन को तबाह करना, आंखों पर चश्मा लगा कर स्लो मोशन में वॉक जैसे दृश्यों से सिनेमा हॉल सीटियों से गूंज उठता है। फिल्म में कई ऐसे सीन आते हैं जिन्हें देखकर आप हैरान रह जाते हैं। प्रोडक्शन डिजाइन शानदार है। गीत-संगीत ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं करता। गाने कहीं न कहीं फिल्म की लंबाई को बढ़ाते हैं। बैकग्राउंड स्कोर कहानी की लाइफलाइन है। मूवी की गति जरूर ऊपर-नीचे होती रहती है। कहीं यह अपने ट्रैक को पकड़ कर पूरी रफ्तार से दौड़ रही होती है तो कई ऐसे मौके भी आते हैं, जहां गति मद्धम पड़ जाती है। सिनेमैटोग्राफी आकर्षक और स्टाइलिश है। लार्जर दैन लाइफ मूवी के नाम पर खूब लिबर्टी ली गई है, जो कई दृश्यों में अखरती भी है। रॉकी द्वारा रीना को 'एंटरटेनमेंट' के लिए रखना अजीब लगता है। कई संवाद जबरदस्त हैं। हर कैरेक्टर के मुंह से वन लाइनर्स और डायलॉग ऐसे निकलते हैं, जैसे कोई गोली निकली हो।
रॉकिंग स्टार यश (Rocking Star Yash) की स्टाइल और स्वैग बेजोड़ है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, एटीट्यूड, स्क्रीन प्रजेंस और परफॉर्मेंस शानदार है। संजय दत्त को ऐसा गेटअप दिया है, जिससे वह खतरनाक नजर आएं। हालांकि उन पर उम्र हावी दिखती है। यश और संजय की टक्कर के सीन काफी अच्छे लगते हैं। रवीना टंडन की एंट्री कहानी में देर से होती है, इसके बावजूद वह ध्यान बटोरने में सफल रही हैं। श्रीनिधि शेट्टी को स्क्रीन स्पेस ठीक ही मिला है, पर वह प्रभावित नहीं कर सकीं। प्रकाश राज कहानी के नैरेटर के तौर पर भरोसेमंद हैं। राव रमेश ओके हैं। अन्य सपोर्टिंग कलाकार अपने हिस्से में फिल्म में बिल्कुल फिट हैं और अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं। यह विशुद्ध मसाला और पैसा वसूल फिल्म है।
रेटिंग: ★★★½
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