लहरों में बहे, ले डूबी जा रही 'गहराइयां'


  • डायरेक्शन: शकुन बत्रा
  • स्टोरी: आयशा देवित्रे ढिल्लों, शकुन बत्रा
  • स्क्रीनप्ले: आयशा देवित्रे ढिल्लों, सुमित रॉय, शकुन बत्रा
  • एडिशनल स्क्रीनप्ले: यश सहाय
  • सिनेमैटोग्राफी: कौशल शाह
  • एडिटिंग: नितेश भाटिया
  • डायलॉग्स: यश सहाय, आयशा देवित्रे ढिल्लों
  • म्यूजिक-ओरिजनल स्कोर: ओएएफएफ, सवेरा
  • लिरिसिस्ट: कौसर मुनीर, अंकुर तिवारी
  • क्रिएटिव सुपरवाइजर: आयशा देवित्रे ढिल्लों
  • म्यूजिक सुपरवाइजर: अंकुर तिवारी
  • प्रोड्यूसर: हीरू यश जौहर, करण जौहर, अपूर्व मेहता, शकुन बत्रा
  • प्लेबैक सिंगर्स: सवेरा, शाल्मली खोलगडे, लोथिका
  • इंटिमेसी डायरेक्टर: डार गई
  • कास्टिंग डायरेक्टर: पंचमी घावरी
  • जॉनर: रोमांटिक ड्रामा
  • एक्शन डायरेक्टर: डेव जज
  • कॉस्ट्यूम स्टाइलिस्ट: अनीता श्रॉफ अदजानिया
  • स्टार कास्ट: दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पांडे, धैर्य करवा, नसीरुद्दीन शाह, रजत कपूर, पवलीन गुजराल, नताशा रस्तोगी, विहान चौधरी, दीपक कृपलानी पलानी, कनिका डांग, नेहा व्यास, अनाया आनंद, आरजू, इमरान छापर, अनूप शर्मा, विशाखा कवलेकर, करण शर्मा, यामिनी जोशी 
  • रनिंग टाइम: 148 मिनट

रिश्ते समंदर की लहरों के माफिक होते हैं, जो कभी खामोश होते हैं तो कभी सुनामी बनकर जिंदगी में भूचाल ला देते हैं। इमोशनल-रोमांटिक ड्रामा 'गहराइयां' रिश्तों की इन्हीं उलझनों को दिखाती है। फिल्म में प्रमुख किरदारों के रिश्तों के धागे उलझे हुए हैं। कॉम्प्लेक्स रिश्तों में कभी 'अंतरंगता की बाहों' का सुकून है तो कभी बेवफाई की लहर में बह जाने का भय है। रिश्तों की यह उधेड़बुन भावनाओं की गहराई तक तो ले जाती है, पर बीच-बीच में साथ छोड़ती महसूस होती है। 'तू मर्ज है दवा भी' फिल्म के टाइटल सॉन्ग की ये लाइनें काफी हद तक 'गहराइयां' का सार व्य​क्त करती हैं।

कश्तियां यूं टकरा गई और डूबे एक दूजे में... 

योगा इंस्ट्रक्टर अलीशा (दीपिका पादुकोण) और स्ट्रगलिंग नॉवल राइटर करण (धैर्य करवा) छह साल से लिव-इन रिलेशनशिप में हैं। दोनों साथ हैं, पर एक दूरी है। कुछ वजह कम्यूनिकेशन है तो कुछ कॅरियर। अलीशा की कजिन टिया (अनन्या पांडे) मंगेतर जेन (सिद्धांत चतुर्वेदी) के साथ अमरीका से भारत आती है। अलीशा और जेन एक-दूसरे से जुड़ाव फील करते हैं। उनके अतीत की कुछ कड़वी यादें उन्हें एक दूसरे के नजदीक ले आती है। दोनों बेकाबू होकर अपनी हद से बढ़ जाते हैं और एक दूसरे की बाहों में खोकर प्यार की गहराइयों में गोते लगाने लगते हैं। लेकिन, यहां से इनकी जिंदगी पलटती है। 

रह जाएगा क्या, जो बह गए यहां...

स्क्रीनप्ले इंटेंस रोमांटिक नॉवल जैसा एहसास देता है, पर क्रिस्पनेस जरा कम है। इसे आकर्षक सिनेमैटोग्राफी और खूबसूरत लोकेशंस की जुगलबंदी मिली है। निर्देशक ने रिश्तों में लिपटी उलझनों को रोमांस के साथ रोमांच का छौंक लगाकर दिखाने की कोशिश की है। शकुन बत्रा ने इससे पहले अपनी फिल्म 'कपूर एंड सन्स' में रिश्तों की जटिलता को अलहदा अंदाज में प्रस्तुत किया था। 'गहराइयां' में वह पर‍िवार और प्‍यार के रिश्‍तों की परतों को अनफिल्‍टर तरीके से पर्दे पर पेश करते हैं। 'कपूर एंड संस' में उनके निर्देशन ने कमाल किया था, लेकिन यहां वह उतने कामयाब नहीं रहे हैं। फिल्म में ट्विस्ट अच्छे हैं, क्लाईमैक्स दिलचस्प है। राइटिंग में कुछ किरदार अधपके से लगते हैं, उनमें कुछ और लेयर्स की उम्मीद थी। गानों के बोल और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। सिनेमैटोग्राफी इम्प्रेसिव और स्टाइलिश है। समुद्र की गहराई, मुंबई के भागमभाग के साथ-साथ किरदारों के बीच की खामोशी को बेहतरीन दिखाया गया है। एडिटिंग में गुंजाइश है। यही वजह है कि फिल्म की लंबाई अखरती है। इससे फिल्म थोड़ी खींची हुई लगती है।

दिल से यूं लगा...

दीपिका पादुकोण ने किरदार की नब्ज को पकड़ते हुए उसके वेरिएशंस को बखूबी जीया है। कई मर्तबा तो वह बिन बोले आंखों से बहुत कुछ कह जाती हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी की परफॉर्मेंस ठीक है, उनके कैरेक्टर में कई लेयर्स हैं। हर पहलू को वह उतने प्रभावशाली ढंग से पर्दे पर पेश नहीं कर सके। इसमें कोई दोराय नहीं है कि उन्हें अपनी एक्टिंग को और पॉलिश करने की दरकार है। अनन्या पांडे का काम ठीक है। कुछ सीन ऐसे भी हैं, जिसमें वह कॉन्फिडेंस देती हैं। धैर्य करवा को जितना स्क्रीन स्पेस मिला, उसमें वह ओके हैं। नसीरुद्दीन शाह और रजत कपूर कम स्क्रीन प्रजेंस के बावजूद असरदार हैं। अन्य सपोर्टिंग कास्ट को गिनती के ही सीन मिले हैं। जटिल रिश्तों पर बनी फिल्में देखना पसंद करते हैं तो 'गहराइयां' एक विकल्प है। हालांकि यह उम्मीद के अनुरूप परफेक्ट नहीं है।

रेटिंग: ★★