'ग्रेट' नहीं, साधारण थ्रिलर की तरह है यह '...मर्डर'
- डायरेक्शन: तिग्मांशु धूलिया
- अडेप्टेशन-राइटिंग: तिग्मांशु धूलिया, विजय मौर्य, पुनीत शर्मा
- सिनेमैटोग्राफी: ऋषि पंजाबी
- एडिटिंग: उन्नीकृष्णन पी. पी., प्रथमेश चंदे
- बैकग्राउंड स्कोर: केतन सोढा
- म्यूजिक: रघु दीक्षित, केतन सोढा
- जॉनर: क्राइम मिस्ट्री
- एक्शन डायरेक्शन: विक्रम दहिया
- कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग: तूलिका धूलिया
- स्टार कास्ट: ऋचा चड्ढा, प्रतीक गांधी, आशुतोष राणा, रघुबीर यादव, शारिब हाशमी, अमेय वाघ, जतिन गोस्वामी, शशांक अरोड़ा, पाओली डैम, हिमांशी चौधरी, रुचा इनामदार, रोंजिनी चक्रवर्ती, मणि पीआर, कुमार कंचन घोष, विनीत कुमार, दीपराज राणा, गुनीत सिंह, केनेथ देसाई, काली प्रसाद मुखर्जी, रुशद राणा, परिणीता सेठ, निकिता ग्रोवर, लियाम मैक्डोनाल्ड, नीलू डोगरा
- रन टाइम: 407.29 मिनट
वेब सीरीज 'द ग्रेट इंडियन मर्डर' विकास स्वरूप के नॉवल 'सिक्स सस्पेक्ट्स' पर बेस्ड है, पर यह वेब सीरीज किसी मायने में 'ग्रेट' तो कतई नहीं है। कहानी पेचीदा है, जिसमें संभावनाएं काफी हैं। प्याज के छिलके की तरह जब एक-एक लेयर हटती है तो मर्डर मिस्ट्री कौतूहल पैदा करती है, पर तमाम कोशिशों के बावजूद कई सवालों के जवाब अधूरे छूट जाते हैं। यही अधूरापन शुरुआत से अंत तक कचोटता है और यह वेब सीरीज एक साधारण थ्रिलर बन कर रह जाती है।
कहानी की शुरुआत में 2018 में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री जगन्नाथ राय (आशुतोष राणा) के बिजनेसमैन बेटे विकी राय (जतिन गोस्वामी) की कार से दिल्ली में 2 नाबालिग लड़कियों की लाश मिलती है। पुलिस उसे अरेस्ट कर लेती है। जगन्नाथ का मंत्री पद चला जाता है लेकिन इसके बावजूद जगन्नाथ पैसों और सियासी रुतबे के बूते पर पुलिस को मैनेज कर लेते हैं। आखिर तीन साल बाद विकी केस से बरी हो जाता है। इस खुशी में वह छतरपुर में अपने फार्महाउस में पार्टी देता है, पर पार्टी के दौरान कोई उसे गोली मार देता है और वहीं उसकी मौत हो जाती है। सीबीआई ऑफिसर सूरज यादव (प्रतीक गांधी) को इस हत्या की जांच का जिम्मा सौंपा जाता है। वह दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की अफसर सुधा भारद्वाज (ऋचा चड्ढा) के साथ मिलकर तफ्तीश शुरू करता है। कहानी के जब पेंच खुलने शुरू होते हैं तो यह भारत के अलग-अलग हिस्सों का भ्रमण करते हुए आगे बढ़ने लगती है। एक के बाद एक नया अध्याय सामने आने लगता है। कहानी को रफ्तार मुन्ना (शशांक अरोड़ा) और एकेती (मणि पीआर) की एंट्री से मिलती है। इन सबके बीच एक और अहम किरदार मोहन कुमार (रघुबीर यादव) कहानी की पेस में और इजाफा करता है।
वेब सीरीज के लेखकों की टीम के साथ निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने पूरी कोशिश की है कि कहानी को कस कर रखें। हालांकि कहानी की सहजता कहीं-कहीं बाधित होती है। तिग्मांशु ने सीरीज में अपराध, राजनीतिक षडयंत्र और पावर के खेल को रोचक ढंग से पिरोने की कोशिश की है। यहां तक कि नक्सली तार भी जोड़े हैं। लेकिन, मर्डर की गुत्थी और किरदारों की उधेड़-बुन में उनका निर्देशन उलझ सा गया है। लोकेशंस और सिनेमैटोग्राफी एक्सीलेंट हैं। सिनेमैटोग्राफर ऋषि पंजाबी की मेहनत साफ नजर आती है। बैकग्राउंड स्कोर बेहतर हो सकता था। एडिटिंग चुस्त होती तो यह सीरीज थोड़ी खींची हुई जैसी नहीं लगती। इस कहानी में रहस्य, हत्या और भाग्य का बेहतरीन मिक्सचर है। सीरीज में हर किरदार की अपनी खासियत है। मगर, किरदारों को आधा अधूरा गढ़कर छोड़ देना इस सीरीज में बड़ी चूक है।
प्रतीक गांधी ने सीबीआई ऑफिसर का ग्रे शेड रोल अच्छे से निभाया है। ऋचा चड्ढा की परफॉर्मेंस ठीक है। आशुतोष राणा और रघुबीर यादव जैसे दिग्गज कलाकारों की एक्टिंग रेंज का प्रॉपर इस्तेमाल नहीं हुआ। उनका सधा हुआ अभिनय उनके किरदार को प्रभावी बनाता है। हालांकि उनके किरदारों को और वैरिएशन दिया जा सकता था। जतिन गोस्वामी सरप्राइज करते हैं। शशांक अरोड़ा और मणि पीआर की परफॉर्मेंस दमदार है। दोनों के ट्रैक जबरदस्त हैं। पत्रकार बने अमेय वाघ का शुरुआती संवाद ‘सवाल थोड़ा टेढ़ा जरूर है लेकिन पूछा तो मैंने पूरी तमीज से है’ आरंभ में ही उनके किरदार की रिद्म सेट कर देता है। शारिब हाशमी, विनीत कुमार, रुचा इनामदार, हिमांशी चौधरी, कुमार कंचन घोष, दीपराज राणा, पाओली डैम और अन्य सपोर्टिंग कास्ट ने रोल की अहमियत को समझते हुए बढ़िया काम कर खुद को साबित किया है। खैर, 'द ग्रेट इंडियन मर्डर' वेब सीरीज टाइमपास थ्रिलर है, जिसे रहस्य और रोमांच से भरपूर कंटेंट पसंद करने वाले देख सकते हैं। यह इस सीरीज का पहला सीजन है। उम्मीद यही है कि आने वाले सीजन में उन तमाम सवालों से पर्दा हटे, जो यहां नहीं मिल पाए हैं।
रेटिंग: ★★½
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