दवाओं के अवैध 'ह्यूमन' ट्रायल के साइड इफेक्ट्स की एक 'तस्वीर'


  • डायरेक्शन: विपुल अमृतलाल शाह, मोजेज सिंह
  • राइटिंग: मोजेज सिंह, इशानी बनर्जी
  • एडिशनल स्क्रीनप्ले: स्तुति नायर, आसिफ मोयल
  • एडिटिंग: जुबिन शेख
  • डायलॉग्स: दर्शन प्रकाश, अर्जुन भांडेगांवकर
  • सिनेमैटोग्राफी: सिरशा रे
  • बैकग्राउंड स्कोर: सुभाष भालेराव, सुयश केलकर, नुपूरा निपहडकर
  • एक्शन डायरेक्टर: एलन अमीन
  • जॉनर: मेडिकल थ्रिलर
  • स्टार कास्ट: शेफाली शाह, कीर्ति कुल्हारी, सीमा बिस्वास, विशाल जेठवा, राम कपूर, अतुल कुमार मित्तल, आदित्य श्रीवास्तव, इंद्रनील सेनगुप्ता, रिद्धि कुमार, संदीप कुलकर्णी, सुशील पांडे, गौरव द्विवेदी, आसिफ खान, श्रुति बापना, प्रणाली घोगरे, मोहन अगाशे
  • रनिंग टाइम: 458 मिनट

वेब सीरीज 'ह्यूमन' फार्मा इंडस्ट्री के उस 'अमानवीय और संवेदनहीन पहलू' से रूबरू कराती है, जहां मनुष्य को गिनी पिग के रूप में देखा जाता है। इस वेब सीरीज के केंद्र में अवैध ड्रग ट्रायल है। इस मेडिकल थ्रिलर में दिखाया है कि कुछ दवा कंपनियों की नजर सिर्फ पैसा कमाने पर होती है, चाहे उसके लिए किसी भी हद तक क्यों नहीं जाना पड़े। ये इंसान, खासकर गरीब व्यक्ति की जिंदगी की कोई कीमत नहीं समझतीं। थीम इंटरेस्टिंग है, जिसमें 1984 की भोपाल गैस त्रासदी का भी समावेश किया गया है।

डॉ. गौरी नाथ (शेफाली शाह) भोपाल में टॉप न्यूरो सर्जन है। वह यहां के सबसे बड़े मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल मंथन की कर्ता-धर्ता है। कार्डियक सर्जन डॉ. सायरा सभरवाल (कीर्ति कुल्हारी) इस हॉस्पिटल को जॉइन करती है। सायरा, गौरी के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित है और उसे आइकॉन के रूप में देखती है। इधर, डॉ. गौरी के ड्रग्स रिसर्च ऑर्गनाइजेशन 'एस्पायर कैंप' में गरीब लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर उन पर वायु फार्मा कंपनी की ड्रग एस93आर का ट्रायल किया जा रहा है। सच्चाई बताए बिना पैसों का लालच देकर गरीबों को गिनी पिग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। यह फॉल्टी ड्रग यूरोप में बैन हो चुकी है, मगर वायु फार्मा के हेड अशोक वैद्य (आदित्य श्रीवास्तव) का मकसद इस ड्रग्स का ट्रायल कैसे भी पूरा करना है। गौरी नाथ अप्रत्यक्ष रूप से इस कारोबार से जुड़ी है। सनक की हद तक अति महत्वाकांक्षी गौरी नाथ भोपाल में विदेशी कंपनी की मदद से एक बड़ा न्यूरो सेंटर भी बना रही है, जिसके विस्तार के लिए उसे पैसे के साथ जमीन चाहिए, जो सियासी सपोर्ट के बिना संभव नहीं है। गौरी और सायरा के अलावा इस कहानी का एक अन्य अहम किरदार मंगू (विशाल जेठवा) है, जो कि मुर्दाघर में काम करता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का मंगू अपने परिवार का जीवन स्तर सुधारने की जुगत में लगा है, मगर इसके लिए वह शॉर्टकट की तलाश में है, ताकि जल्द पैसा कमा सके। इसी हेरफेर में वह अपने माता-पिता को धोखे में रख कर उन पर उस ड्रग का ट्रायल शुरू करवा देता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब दवा के साइड इफेक्ट्स से कुछ लोग मर जाते हैं। यही नहीं, मंगू की मां भी बुरी तरह बीमार हो जाती है और एक दिन दुनिया छोड़ देती है। 

इशान बनर्जी और मोजेज सिंह की लिखी इस कहानी को पटकथा के जरिए दिलचस्प विस्तार दिया है। ड्रग टेस्टिंग से जुड़ी घटनाओं को रोचक ढंग से दिखाया है। हालांकि पटकथा में कुछ लूपहोल्स भी हैं। विपुल अमृत लाल शाह और मोजेज सिंह निर्देशित 'ह्यूमन' के दृश्य यह कामयाबी के साथ दिखाते हैं कि मेडिकल इंडस्ट्री में भ्रष्टाचार कितना जानलेवा और खतरनाक हो सकता है। अवैध ड्रग टेस्टिंग सिंडिकेट के इर्द-गिर्द घूमती स्टोरी के सबप्लॉट में किरदारों की निजी जिंदगी के द्वंद्व भी दिखाए हैं। 'ह्यूमन' का कोई भी प्रमुख किरदार आदर्श नहीं है। सभी में कोई न कोई चारित्रिक दोष है और मेकर्स ने इन खामियों को दिखाने में जरा भी संकोच नहीं किया है। वेब सीरीज के 10 एपिसोड हैं। हर एपिसोड औसतन 45-46 मिनट का है। ऐसे में कई दृश्यों की लंबाई आपके धैर्य की कड़ी परीक्षा लेती है। एक वक्त ऐसा भी आता है, जब आप सोचते हैं कि मेकर्स को कहानी की डोर खींचकर रखनी चाहिए थी। बेवजह शो की लंबाई बढ़ाने से इसे रोका जा सकता था। सिनेमैटोग्राफर सिरशा रे ने भोपाल के भीतरी इलाकों और रीयल लोकेशंस को बखूबी शूट किया है। एडिटिंग की काफी गुंजाइश है।

शेफाली शाह की परफॉर्मेंस सम्मोहक है। आंखों से ही वह बहुत कुछ कह जाती हैं। डॉ. गौरी नाथ के किरदार की कई परते हैं। गौरी नाथ का अपना अतीत है, जिसने उसके मौजूदा व्यक्तित्व को आकार दिया है। शेफाली इस किरदार में भीतर तक घुस गई हैं। उनके कैरेक्टर का ग्राफ पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों है। मृदुभाषी डॉक्टर से लेकर सनकी, स्वार्थी और क्रूर इंसान तक किरदार के हर पहलू को उन्होंने बोल्ड अंदाज में बखूबी आत्मसात किया है। सायरा का किरदार भी गौरी नाथ की तरह की उलझा हुआ है। उसका भी अपना अतीत है, जिससे वह आज भी जूझ रही है। सायरा के इस किरदार के इमोशनल सीन में कीर्ति कुल्हारी इम्प्रेस करती हैं। विशाल जेठवा की एक्टिंग दमदार है। रहस्यमयी और कुटिल किरदार में सीमा बिस्वास निराश नहीं करतीं। गौरी के पति प्रताप मुंजाल के किरदार में राम कपूर भी छाप छोड़ते हैं। आदित्‍य श्रीवास्‍तव ने अशोक वैद्य के रोल में बढ़‍िया काम किया है। रिद्धि कुमार की परफॉर्मेंस भी ठीक है। मोहन अगाशे ने खुद को जाया किया है। इंद्रनील सेनगुप्ता ने अपने किरदार से न्याय किया है। अतुल कुमार मित्तल, प्रणाली घोगरे, सुशील पांडे समते अन्य सपोर्टिंग कास्ट एकदम फिट है।

यह वेब सीरीज दवाओं के ह्यूमन ट्रायल के गैरकानूनी कारोबार और अमानवीय पहलू की झकझोरने वाली तस्वीर है। वेब सीरीज बहुत ही गंभीर भी है। इसका गमजदा माहौल हर दर्शक को खुद से नहीं जोड़ पाता। कहानी, निर्देशन, अभिनय, संगीत और तकनीकी दक्षता के पैमाने पर ओवरऑल परखें तो ‘ह्यूमन’ औसत से थोड़ी बेहतर है।

रेटिंग: ★★