मनोरंजन के शिखर से मीलों दूर '...शिखरवती' के रिश्तों की कशमकश
- डायरेक्शन: गौरव के चावला, अनन्या बनर्जी
- राइटिंग: अनन्या बनर्जी
- स्टोरी: अनन्या बनर्जी, सिमरन साहनी
- सिनेमैटोग्राफी: लिनेश देसाई
- एडिटिंग: निनाद खानोलकर
- बैकग्राउंड स्कोर: अनुराग सैकिया
- जॉनर: ड्रामा
- एक्शन डायरेक्टर: अमीन खातिब
- प्रोडक्शन डिजाइनिंग: प्रिया सुहास
- कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग: नताशा चरक, निकिता रहेजा मोहन्ती
- स्टार कास्ट: नसीरुद्दीन शाह, लारा दत्ता, सोहा अली खान, कृतिका कामरा, अन्या सिंह, रघुबीर यादव, साइरस साहूकार, अनुराग सिन्हा, वरुण ठाकुर, डीनो मोरिया, अलीशा खरे, नॉरशांग तमांग, मानिक पपनेजा, धनीश गुम्बर, धैर्यांश गुम्बर, निलेश दिवेकर, चारू शंकर, अम्बरीश सक्सेना
- रनिंग टाइम: 331 मिनट
वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवती' एक शाही परिवार के सदस्यों के बिगड़े संबंधों पर आधारित है। बेटियां पिता से नाराज हैं। बहनों की आपस में बनती नहीं है। रिश्तों में खींचतान इस कदर है कि वे 'सिंहासन' पाने के लिए एक दूसरे के खिलाफ खड़ी हैं। इसमें आपसी रिश्तों की कड़वाहट, पिता से संबंध, बच्चों की शरारतें और दुश्मनों से निपटने की कोशिशों को 'ह्यूमर' के साथ दिखाया गया है। बेसिर-पैर की इस कहानी में बेतुके अंदाज में नौ कॉम्पीटिशंस को 'नवरस' से जोड़ा है, पर सब कुछ नीरस है। मनोरंजन के शिखर से कोसों दूर '...शिखरवती' से बोरियत के सिवा कुछ हासिल नहीं होता।
कहानी में शिखरवती के राजा मृत्युंजय सिंह (नसीरुद्दीन शाह) को कई साल से वेल्थ टैक्स ना भरने की वजह से सरकार की ओर से 32 करोड़ रुपए का नोटिस आता है। महल दांव पर है, क्योंकि एक महीने में टैक्स की यह रकम जमा नहीं करने पर महल सीज कर दिया जाएगा। पुरखों के महल में अपनी राजशाही की पुरानी लकीरों को पीटते राजा को उनका 'दाहिना हाथ' यानी सलाहकार मिश्राजी(रघुबीर यादव) सुझाव देते हैं कि वे 6 साल पहले नाराज होकर घर छोड़ चुकीं अपनी चारों बेटियों देवयानी (लारा दत्ता), गायत्री (सोहा अली खान), कामिनी (कृतिका कामरा) और उमा (अन्या सिंह) को बुला लें। वो ये टैक्स चुका सकती हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें यह बताना होगा कि शिखरवती का अगला 'किंग' उनमें से ही कोई एक होगा। राजा की सहमति के बाद संदेश भेजा जाता है, चारों बेटियां आ जाती हैं। राजा महल का वारिस चुनने के लिए नवरस रॉयल गेम्स रखते हैं, जिसमें उनकी बेटियों को पार्टिसिपेट करना है। नौ राउंड के बाद जो विजेता होगी, उसकी ताजपोशी राजा की विरासत के लिए होगी।
वेब सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी बेढंगी स्क्रिप्ट है। स्क्रीनप्ले के 'सुर' शुरुआत में ही भटक जाते हैं। गौरव चावला और अनन्या बनर्जी का निर्देशन औसत है। चारों राजकुमारियों की पर्सनल जिंदगी के स्केच अलग-अलग खींचे गए हैं। पति के साथ हंसी-खुशी जिंदगी बिता रही देवयानी को हर चीज में परफेक्शन चाहिए। उसका स्वभाव हर किसी पर डॉमिनेट करने का है। गायत्री अपने गोद लिए दो बच्चों के साथ एक योगिनी के आश्रम में रहती है। वह नर्तकी है, पर सफल नहीं है। कामिनी यानी 'प्रिंसेस का' सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है। इंस्टाग्राम पर उसके दो मिलियन फॉलोअर्स हैं, जिससे वह खुद को सेलेब समझती है लेकिन एक छोटी सी चूक से उसके फॉलोअर्स एकदम से कम हो जाते हैं। वहीं, उमा ऑनलाइन गेम्स डेवलपर है। वह अपने गेम 'राजकुमारी रेस्क्यूज' के लिए फंडिंग की तलाश में है। वह चार लोगों के बीच भी बोलने से झिझकती है। गंभीर एलर्जी के चलते वह अपने गेम के आइडिया को इन्वेस्टर्स के सामने पिच नहीं कर पाती। रॉयल गेम्स प्रतियोगिता के नाम पर वेब सीरीज को च्युइंग गम की तरह चबा-चबा कर खींचा गया है। यहां न तो कॉमेडी है, न इमोशंस हैं। बस, राजा की रियासत की तरह सब कुछ उजड़ा हुआ है। '..शिखरवती' करीब साढ़े पांच घंटे स्क्रीन पर तो रहती है, पर जरा भी दिल में नहीं उतरती। सिनेमैटोग्राफी सराहनीय है। बैकग्राउंड स्कोर इतना प्रभावी नहीं है।
राजा की भूमिका में नसीरुद्दीन शाह 'शिखरवती' की धुरी हैं। रघुबीर यादव उनके साथ ताल मिलाते हैं। लारा, सोहा और अन्या ने अपने रोल के जज्बात समझ कर स्क्रीन पर पेश करने की कोशिश की है। कृतिका कामरा मजूबत छाप छोड़ती हैं। अनुराग सिन्हा इम्प्रेसिव हैं। वरुण ठाकुर का प्रयास अच्छा है। साइरस साहूकार कुछ खास असर नहीं छोड़ते। अलीशा खरे अचूक दूरदर्शिता वाले अंदाज से प्रभावित करती हैं।
खैर, इस वेब सीरीज में शुरू से अंत तक बोरियत पसरी है। कोई पल ऐसा नहीं आता कि आप मुस्कुरा सकें। ह्यूमर के नाम पर बचकाने सीन हैं। यही वजह है कि वे असर नहीं डालते। ऐसे में यही सलाह है कि देखो तो अच्छा देखो। खराब कंटेंट दिमाग का दही करने के सिवा कुछ नहीं करता।
रेटिंग: ★
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