मन करे तो सीटी बजाओ... लॉजिक ढूंढा तो मैजिक करोगे मिस
- राइटिंग-डायरेक्शन: मिलाप जावेरी
- म्यूजिक: रोचक कोहली, तनिष्क बागची, जस मानक, पायल देव, आर्को
- लिरिक्स: मनोज मुंतशिर, तनिष्क बागची, जस मानक
- जॉनर: एक्शन ड्रामा
- एडिटिंग: माहिर जावेरी
- सिनेमैटोग्राफी: डुडले
- स्टार कास्ट: जॉन अब्राहम, दिव्या खोसला कुमार, हर्ष छाया, गौतमी कपूर, अनूप सोनी, साहिल वैद, जाकिर हुसैन, दयाशंकर पांडेय, ऋतुराज सिंह, शाद रंधावा, राजेंद्र गुप्ता, नोरा फतेही
- रनिंग टाइम: 142 मिनट
'सत्यमेव जयते' (2018) की तरह ही इसके सीक्वल 'सत्यमेव जयते 2' के केंद्र में भ्रष्टाचार का खात्मा है। दोनों ही फिल्मों का डीएनए सेम है। एक्शन और डायलॉगबाजी से भरपूर इस फिल्म में 'तन मन धन से बढ़कर जन गण मन' के मैसेज के साथ देशभक्ति का तड़का भी है। सिंगल स्क्रीन फ्लेवर की इस मूवी में हीरो की एंट्री से लेकर डायलॉग्स तक पर सीटियां बजती हैं। बस, लॉजिक नहीं ढूंढना है, वरना मसाला मनोरंजन का मैजिक गायब हो जाएगा।
भ्रष्टाचार से जंग की कहानी
उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में गृह मंत्री सत्या बलराम आजाद (जॉन अब्राहम) असेंबली में एंटी-करप्शन बिल पेश करते हैं पर उसे पास कराने में विफल रहते हैं। यहां तक कि उनकी वाइफ विद्या (दिव्या खोसला कुमार) भी बिल के अगेंस्ट वोट करती है, जो कि विपक्षी दल की विधायक है। इस बीच, सरकारी अस्पताल में स्ट्राइक के बहाने एक डॉक्टर जख्मी लड़की का इलाज करने से मना कर देता है। समय पर इलाज नहीं मिलने से वह मर जाती है। उसी रात सत्या उस डॉक्टर को अपने अंदाज में मौत के घाट उतार देता है। यहीं से शुरू होती है भ्रष्टाचार के खिलाफ असली जंग।
जॉन के कंधों पर बाइक ही नहीं, फिल्म भी
स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स में 70-80 के दशक के बॉलीवुड की छाप है। निर्देशक मिलाप जावेरी ने पावर-पैक्ड एक्शन एंटरटेनर बनाने के लिए सवार सहित बाइक को उठा लेना, कार का इंजन निकाल फेंकना जैसे दृश्यों पर खासा जोर दिया है। भले ही वो वास्तविकता में हजम नहीं हों। एडिटिंग में चूक के कारण दूसरा हाफ थोड़ा स्लो है। गीत-संगीत औसत है। लोकेशंस और सिनेमैटोग्राफी अच्छी है। जॉन अब्राहम ट्रिपल रोल में हैं। पूरी फिल्म उनके कंधों पर टिकी है लेकिन तीनों किरदारों में ज्यादा कुछ अलग नहीं किया है। यानी पॉलिटिशियन, पुलिस अफसर और किसान, तीनों कैरेक्टर में उनके एक्सप्रेशंस में फर्क महसूस नहीं होता। लंबे गैप के बाद सिनेमाई पर्दे पर दिखीं दिव्या खोसला कुमार की परफॉर्मेंस सराहनीय है। मां की भूमिका में गौतमी कपूर सही चॉइस हैं। हर्ष छाया मुख्य विलेन के तौर पर कमजोर लगे हैं। अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक-ठाक है। अगर आप जॉन के फैन हैं और बिना दिमाग लगाए उन्हें एक्शन अवतार में देखना पसंद करते हैं तो ही फिल्म देखें।
रेटिंग: ★★
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