इस 'फ्लाइट' में रिस्क है, इसलिए जरा संभल कर...


  • बैनर: ए क्रेजी बॉयज एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन
  • डायरेक्शन: सूरज जोशी
  • जॉनर: एक्शन थ्रिलर
  • स्टोरी, स्क्रीनप्ले एंड डायलॉग्स: बबीता आशीवाल, मोहित चड्ढा, सूरज जोशी
  • सिनेमैटोग्राफी: दीपक पांडे
  • बैकग्राउंड स्कोर: स्मृति मिनोचा
  • एडिटिंग: राहुल माथुर
  • प्रोडक्शन डिजाइनर: अमित पठानिया
  • कॉस्ट्यूम डिजाइनर: शाहिद आमिर
  • एक्शन डायरेक्टर: निशांत खान
  • साउंड डिजाइन: गणेश गंगाधरन, अनुज माथुर
  • स्टार कास्ट: मोहित चड्ढा, पवन मल्होत्रा, जाकिर हुसैन, शिबानी बेदी, विवेक वासवानी, प्रीतम सिंह, कैजाद कोतवाल, इशिता शर्मा, रोहित चड्ढा, मेघा जोशी
  • रनटाइम: 116.11 मिनट

फिल्म 'फ्लाइट' में 30 हजार फीट की ऊंचाई पर ऑटो पायलट मोड में उड़ान भर रहे विमान में एक शख्स का अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष है। इसके साथ ही एविएशन इंडस्ट्री में भ्रष्टाचार का इश्यू भी है। कॉन्सेप्ट वाकई इंटरेस्टिंग है मगर मेकर्स उस स्तर पर इसको निष्पादित करने में चूक गए। ऐसे में 'फ्लाइट' अपने रूट से भटक गई और इसको बनाने का मकसद कहीं गायब सा हो गया। नतीजतन यह एंटरटेनिंग थ्रिलर बनने से कोसों दूर रह गई।

फिल्म की शुरुआत में थाईलैंड में एक विमान हादसे में 70 लोगों की मौत हो जाती है। डीजीसीए की इन्वेस्टिगेशन टीम को विमान के ब्लैक बॉक्स की तलाश है, ताकि इस कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के जरिए यह पता लगा सकें कि विमान क्रैश होने की वास्तविक वजह क्या रही। इधर, एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चर कंपनी आदित्यराज एविएशन का एमडी रणवीर मल्होत्रा (मोहित चड्ढा) उस ब्लैक बॉक्स को ढूंढ लेता है, जिसे उसकी ही कंपनी के बोर्ड मेंबर छुपाना चाहते हैं। ब्लैक बॉक्स के जरिये यह मालूम पड़ता है कि विमान में लो-क्वालिटी के पार्ट्स इस्तेमाल करने से हादसा हुआ। इसके पीछे कंपनी के ही कुछ लोग हैं, जिन्होंने अपने फायदे के लिए लो-क्वालिटी के पार्ट्स सप्लाई करने वाली किसी कंपनी से डील की है। उसूलों पर चलने वाला रणवीर इसे बड़ी गलती मानता है और वह यह स्वीकार करने के लिए तैयार है कि हादसे की वजह उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए विमान में इस्तेमाल किए गए घटिया क्वालिटी के पार्ट्स हैं। वह मुंबई से बैठक के लिए प्राइवेट जेट फीनिक्स से दुबई रवाना होता है। विमान के टेकऑफ होते ही उसे नींद आ जाती है, जब आंख खुलती है तो विमान के भीतर का दृश्य देखकर चौंक जाता है। विमान में ऐसा क्या हुआ है? क्या रणवीर किसी साजिश का शिकार हो गया है? ऐसे ही बहुत से सवालों के जवाब आगे की कहानी में मिलते हैं।

हीरो मैटेरियल नहीं लगे मोहित

मोहित चड्ढा बिजनेस टाइकून के लीड रोल में हैं। यह ऐसा शख्स है, जिसे 'बॉलीवुड का कीड़ा' है और वह आइकॉनिक फिल्मों के फेमस डायलॉग्स दोहराता है। कभी वह शाहरुख खान की फिल्म के संवाद बोलता है तो कभी अमिताभ बच्चन की मूवी के। मोहित ने किरदार को अच्छे से निभाने की कोशिश तो बहुत की है लेकिन विफल रहे। वह पूरी फिल्म में कहीं भी हीरो मैटेरियल नहीं लगते। हालांकि उन्होंने हीरोइज्म दिखाने का कोई मौका नहीं गंवाया। पवन मल्होत्रा नैचुरल लगे हैं। ग्रे शेड रोल में जाकिर हुसैन ओके हैं। हालांकि इन दोनों ही कलाकारों का फिल्म में सही इस्तेमाल नहीं हो सका। सपोर्टिंग कास्ट में सिर्फ शिबानी बेदी ही हैं, जो अपनी भूमिका से न्याय कर पाई हैं।  

काश थोड़ी और मेहनत कर लेते...

सूरज जोशी का निर्देशन कामचलाऊ से ज्यादा नहीं है। कई मर्तबा उनके हाथ से कंट्रोल छूटता हुआ सा लगता है। लिखावट में कसावट का अभाव है, चाहे वो स्क्रिप्ट हो या फिर स्क्रीनप्ले। गिने-चुने वन लाइनर्स को छोड़ दें तो संवाद दोयम दर्जे के हैं। प्रोडक्शन डिजाइन और सिनेमैटोग्राफी एवरेज है। वीएफएक्स ठीक हैं। एक्शन सीक्वेंस अच्छे हैं। बैकग्राउंड स्कोर रोमांच क्रिएट करने में नाकाम साबित हुआ। टाइट एडिटिंग की कमी खलती है। फिल्‍म अंत में कुछ सस्‍पेंस छोड़ जाती है, जो असल में 'फ्लाइट 2' की तैयारी है।

क्यों देखें: यह मूवी टेकऑफ तो प्रॉपर तरीके से होती है लेकिन फिर संतुलन बिगड़ने से सेफ लैंडिंग नहीं कर पाती। ऐसे में हिचकोले खाती हुई यह 'फ्लाइट' मजा कम, सजा का अनुभव अधिक देती है। अगर आप 'सफर' करने के लिए वाकई में तैयार हैं तो ही इस 'फ्लाइट' का टिकट लें। 

रेटिंग: ½