Colors in Motion: जलरंग की दिलकश तरंग
राजस्थान की दृश्य कला (Visual Art) के फलक पर बीते सात दिन तक एक नया 'सितारा' टिमटिमाया। यह सितारा जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (Rajasthan International Centre) में 13 से 19 नवंबर तक आयोजित एग्जीबिशन 'कलर्स इन मोशन : द आर्ट ऑफ वॉटर कलर' (Colors in Motion : The Art of Water Color) था। इसमें राजस्थान के अलग-अलग शहरों के 21 कलाकारों की तकरीबन 100 कलाकृतियां प्रदर्शित की गई थीं। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर की यह पहली एग्जीबिशन थी, जिसमें उन कलाकारों के आर्टवर्क थे, जो वॉटर कलर्स में काम करते हैं। इस प्रदर्शनी में अनुभव का खजाना था तो तरुण सोच की उम्मीद थी। दरअसल, प्रदर्शनी में 23 साल के छात्र से लेकर 90 साल के कलाविद् तक की पेंटिंग्स डिस्प्ले की गई थीं। चित्रों में जलरंग की तरंगों ने कला की फिजां में नई उमंग का संचार किया।
इसमें राम जैसवाल, डॉ. राजीव गर्ग, किरण सोनी गुप्ता, एकेश्वर हटवाल, डॉ. हेमलता कुमावत, पवन कुमार कुमावत, केजी कदम, संजीव शर्मा, किशन लाल खटीक, देवेंद्र कुमार खरोल, अनिल कुमार मोहनपुरिया, अजय मिश्रा, भुवनेश्वरी राजौरिया, ममता देवड़ा, महेश कुमार कुमावत, मोहम्मद हनीफ, डॉ. मुकेश सालवी, दिनेश कुमार मेघवाल, रश्मि राजावत, गिरीश चौरसिया और अरुण कुमार कुमावत ने अपना आर्टवर्क प्रदर्शित किया। आर्ट क्यूरेटर निखत अंसारी ने इस माला (एग्जीबिशन) के मनकों (आर्टिस्ट्स) को एक डोर में पिरोने का काम किया।
जलरंग के चितेरों की ये कलाकृतियां उनकी शैली और सोच का अक्स थीं। किसी चित्रकार ने अपनी पेंटिंग्स में कुदरत के खूबसूरत नजारों को उकेरा तो किसी ने ग्रामीण परिवेश के रंग भरे। कुछ पेंटिंग्स विजिटर्स को गांव की गलियों की सैर पर ले गई। घर की चौखट पर ग्रामीण बैठा था। आंगन में महिला गाय का दूध दुह रही थी। किसान अपनी मेहनत के पसीने से खेत को सींच रहा था तो चरवाहे मवेशियों को चरा रहे थे। घर की लक्ष्मी चूल्हे पर खाना पका रही थी तो कुछ लोग घर के कामकाज और मेहनत-मजदूरी में जुटे थे। विजिटर्स ने चित्रकारों की नजर से गांव की भोर और सांझ को महसूस किया।
कहीं हरे-भरे दरख्त थे तो कहीं सूखे झाड़ थे। नदी में नाव तैर रही थीं तो सड़क पर मोटर कार दौड़ रही थीं। चितेरों की तूलिका ने इतनी सूझबूझ और खूबसूरती से रंगों के साथ अठखेलियां की थीं कि पेंटिंग्स में तंग गलियां, घर, सड़क, बाजार, रेल की पटरी, पुल, पहाड़, बादल, झोपड़ी, पशु, फूल-पत्तियां खुद की कहानी बयां करते दिखाई दिए। अतीत के झरोखों से झांकते किले, महल, हवेलियां, छतरियां और गुंबद अपनी स्थापत्य कला के दम पर सीना चौड़ा किए हुए खड़े थे। रहन-सहन और वेशभूषा को दर्शाती पेंटिंग्स राजस्थानी संस्कृति पर गर्व महसूस करवा रही थीं। यही नहीं, पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, सिटीस्केप और भगवान की पेंटिंग्स में चित्रकारों का कौशल झलक रहा था। चित्रकारों की कारीगरी का कमाल उनके बनाए चित्रों में नजर आ रहा था। कूंची से रंगों के संयोजन पर खास ध्यान दिया गया था। पेंटिंग्स में कलर इफेक्ट्स, शेड्स और ब्रश स्ट्रोक नपे-तुले थे। चित्रों में कला की डिफरेंट स्टेज झलक रही थीं। कुछ पेंटिंग्स परफेक्शन की मिसाल थीं तो कुछ में बेहतर की गुंजाइश बाकी थी।
इतना ही नहीं, एग्जीबिशन में हर दिन की दोपहरी एक अलग लिबास में थी। यहां दोपहर में अलग-अलग कलाकारों के लाइव डेमोंस्ट्रेशन थे। इनमें कलाकारों ने अपने अनुभव की बानगी पेश की। चित्रों में प्रकृति के सौंदर्य को उकेरा तो पोर्ट्रेट भी बनाए। इसके साथ ही स्टूडेंट्स और युवाओं को वॉटर कलर मीडियम में चित्रकारी की बारीकियां समझाईं। बहरहाल, जो भी अपनी मसरूफियत में से कुछ फुर्सत के पल निकालकर राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर की गैलरी में एग्जीबिशन देखने के लिए पहुंचा, उसे कुछ न कुछ तो हासिल हुआ। जहां विजुअल आर्ट के स्टूडेंट्स और कला में रुचि रखने वाले लोगों की समझ और विकसित हुई। वहीं, जिस चंचल मन ने महज फन और एंटरटेनमेंट के लिए गैलरी में प्रवेश किया, उसे भी सुकून की अनुभूति हुई।
2 Comments
बहतरीन प्रदर्शनी भवन और राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के सौजन्य से वाटरकलर पेटिंग का कलेक्शन, बहुत कुछ कह देती हुई कृतियाँ, आयोजको को बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई। आगे भी इस तरह के आयोजन शुभारंभ करने केलिए शुभकामना,आभार।
ReplyDeleteU write-up is also giving exb feeling great thanks sir
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