सिनेमैटिक स्क्रीन पर 'बेदाग' नहीं रही 'मिथु' की उतार-चढ़ाव भरी 'इनिंग'


  • डायरेक्शन: सृजित मुखर्जी
  • राइटिंग: प्रिया एवेन
  • म्यूजिक: अमित त्रिवेदी
  • सिनेमैटोग्राफी: सिरशा रे
  • एडिटिंग: ए. श्रीकर प्रसाद
  • स्टोरी आइडिया-क्रिएटिव प्रोड्यूसर: अजीत अंधारे
  • स्टार कास्ट: तापसी पन्नू, विजय राज, मुमताज सरकार, शिल्पी मारवाह, बृजेन्द्र काला, इनायत वर्मा, कस्तूरी जगनाम, समीर धर्माधिकारी, देवदर्शिनी
  • रन टाइम: 162.37 मिनट

फिल्म 'शाबाश मिथु' भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज के जीवन से प्रेरित है। फिल्म मिताली के बचपन से लेकर बतौर कप्तान 2017 के विश्व कप में फाइनल तक के सफर के साथ महिला क्रिकेट की चुनौतियों और संघर्ष को दिखाती है। अफसोस, सुस्त गति के कारण 'शाबाश मिथु' स्क्रीन पर 'पहचान' बनाने में संघर्ष करती है। 'मिथु' बॉक्स-ऑफिस का 'मैच' और ऑडियंस का दिल जीतने की बजाय 'रनआउट' हो जाती है।  
कहानी की शुरुआत में आठ साल की मिथु यानी मिताली राज भरतनाट्यम का प्रशिक्षण ले रही है। उसकी क्रिकेट में रुचि है। भरतनाट्यम प्रशिक्षण केंद्र पर वह अपनी हमउम्र नूरी से मिलती है, जो उसे क्रिकेट का 'पहला सबक' सिखाती है। दोनों की जोड़ी सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसी है। फिर, एक दिन कोच संपत पहली नजर में ही मिथु के टैलेंट को पहचान लेते हैं। वह मिथु को न सिर्फ ट्रेनिंग देते हैं बल्कि यह मूल मंत्र भी देते हैं- 'मैदान में सारे दर्द छोटे हैं, बस खेलना बड़ा है।' इसके बाद मिथु हर चुनौती से लड़ती हुई आगे बढ़ती है।
जाहिर है कि कहानी दिलचस्प है, लेकिन लचर पटकथा मिताली की जर्नी के साथ न्याय नहीं कर पाती। डायरेक्शन का 'फुटवर्क' स्ट्रॉन्ग नहीं है, जिससे 'मिथु' की इनिंग जोरदार अंदाज में बिल्ड नहीं होती। निर्देशक ने शुरुआती 30-40 मिनट में कहानी का ताना-बाना बुन दिया, लेकिन फिर डायरेक्शन पर उनकी ग्रिप 'एंटरटेनमेंट के पिच' पर स्ट्रगल करती नजर आती है। फर्स्ट हाफ तो एंगेज रखता है, मगर दूसरे हाफ में पेस की बजाय 'स्लोअर डिलिवरी' यानी स्लो स्पीड में आगे बढ़ती कहानी दर्शकों के धैर्य की खूब परीक्षा लेती है। स्पोर्ट्स बायोपिक के लिहाज से गीत-संगीत कमजोर कड़ी है। यह इमोशनल कनेक्ट और जोशीला माहौल पैदा करने में नाकाम है। लोकेशंस और सिनेमैटोग्राफी बहुत अच्छी है। ढीली एडिटिंग के कारण कई दृश्य खींचे हुए से लगते हैं, जिससे फिल्म का रोमांच फीका पड़ने लगता है और कहीं-कहीं यह बोरिंग भी हो जाती है।
मिताली राज की भूमिका में तापसी पन्नू की परफॉर्मेंस बढ़िया है। 'नेट प्रैक्टिस' के दौरान की गई उनकी मेहनत स्क्रीन पर दिखती है। उनका क्रिकेट पिच पर गार्ड लेना, स्टांस, ग्राउंड पर मारे गए शॉट्स में उनका हार्डवर्क झलकता है। कोच के रोल में विजय राज धांसू लगे हैं। मुख्य आकर्षण मिताली का बचपन का किरदार निभाने वाली इनायत वर्मा की परफॉर्मेंस है, जिसमें उनका नूरी का रोल अदा करने वाली कस्तूरी जगनाम ने बखूबी साथ निभाया है। शिल्पी मारवाह और मुमताज सरकार ने अपना कैरेक्टर अच्छा खेला है। मिताली के माता-पिता के किरदार में देवदर्शिनी और समीर धर्माधिकारी ओके हैं। अन्य सपोर्टिंग कास्ट ने अपने हिस्से का काम अच्छे से अंजाम दिया है। बहरहाल, मिताली का शानदार 'गेम चेंजर' कॅरियर इससे बेहतर बायोपिक डिजर्व करता था।

रेटिंग: ★★½