लजीज 'शर्माजी नमकीन' का लीजिए चटकारा
- स्टोरी आइडिया-डायरेक्शन: हितेश भाटिया
- राइटिंग: सुप्रतीक सेन, हितेश भाटिया
- सिनेमैटोग्राफी: हरेंद्र सिंह (हरी), पीयूष पुटी
- एडिटिंग: बोधादित्य बनर्जी
- म्यूजिक-बैकग्राउंड स्कोर: स्नेहा खानवलकर
- लिरिक्स: गोपाल दत्त
- एक्शन डायरेक्शन: हरपाल सिंह पाली
- स्टारकास्ट: ऋषि कपूर, परेश रावल, जूही चावला, सतीश कौशिक, शीबा चड्ढा, आयशा रजा मिश्रा, सुहैल नैय्यर, ईशा तलवार, तारुक रैना, दीप्ति मिश्रा, सुलगना पाणिग्रही, मधु आनंद चंदोक, शिवांगी पेसवानी, गूफी पेंटल, विकास मोहला, परमीत सेठी, आकाशदीप मनमोहन साबिर, श्रीकांत वर्मा
- रन टाइम: 121 मिनट
शो मस्ट गो ऑन... ऋषि कपूर अब इस दुनिया में नहीं हैं। फिल्म 'शर्माजी नमकीन' की शूटिंग को वह पूरा नहीं कर सके थे। बाद में इस अधूरी 'कहानी' को परेश रावल के साथ पूरा किया गया। यह फिल्म दुर्लभ उदाहरणों में से एक है, जिनमें किसी फिल्म में एक ही किरदार को दो एक्टर ने निभाया है। फिल्म रिटायर इंसान की जिंदगी में झांकने की 'मासूम' कोशिश है। यह एहसास कराती है कि रिटायर शख्स घर के कोने का फर्नीचर नहीं है। मूवी का 'दिल' ऋषि कपूर हैं। उनकी मुस्कान और मासूमियत दिल को छू लेती है। यह मूवी उनको एक सच्ची श्रद्धांजलि है। फिल्म की मासूमियत ही इसकी यूएसपी है। फिल्म स्वीट 'शर्माजी' द्वारा बनाई चाट की तरह चटपटी है। यह हल्की-फुल्की पारिवारिक कॉमेडी ड्रामा है जो अकेलेपन, परिवार में एक-दूसरे को वक्त देने की अहमियत, दोस्ती और काम की गरिमा जैसी कई बातों को छूती हुई आगे बढ़ती है। इस दौरान कभी चेहरे पर मुस्कान लाती है तो कमी आंखों में नमी भी महसूस होती है।
बी.जी. शर्मा (ऋषि कपूर/परेश रावल) को सेवानिवृत्ति की आयु से दो वर्ष पहले ही वीआरएस दे दिया गया है। वह मधुबन होम अप्लायंसेज कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर थे। उनकी पत्नी सुमन कुछ साल पहले इस दुनिया से रुखसत हो चुकी हैं। बड़ा बेटा संदीप उर्फ रिंकू (सुहैल नैय्यर) एमबीए करने के बाद एक कंपनी में जॉब करता है और अपनी सहकर्मी उर्मि (ईशा तलवार) के साथ शादी करने की तैयारी कर रहा है। जबकि छोटा बेटा विंसी (तारुक रैना) बीकॉम में पढ़ता है। पढ़ाई से ज्यादा उसका ध्यान डांस में है। रिटायरमेंट के बाद अब बी.जी. शर्मा अपने घर पर खाना बनाने से लेकर बिल भरने तक का सारा काम करते हैं। मित्र मंडली, जुंबा, सोशल मीडिया और टीवी शोज के जरिए खुद को व्यस्त रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ महीने बाद ही वह खाली बैठे-बैठे ऊब चुके हैं। शर्माजी को खाना बनाने का शौक है। ऐसे में दोनों बेटों को बताए बिना वह लेडीज किटी पार्टी में खाना बनाने का काम शुरू कर देते हैं। वह यहां किटी ग्रुप की सदस्य वीना मनचंदा (जूही चावला) के भी करीब हो जाते हैं।
दिल्ली के मिजाज में रची-बसी कहानी प्यारी है। इसमें बहुत टर्न-ट्विस्ट नहीं हैं, लेकिन खूबसूरत मिठास लिए हुए आगे बढ़ती है। स्क्रीनप्ले मनोरंजक है। हल्के-फुल्के पल आते रहते हैं। शर्माजी के रोल में कभी ऋषि नजर आते हैं तो कभी परेश। एक पिता के द्वंद्व और एक रिटायर व्यक्ति की चाहत, दोनों को खूबसूरती से पर्दे पर उकेरा है। हितेश भाटिया का निर्देशन सधा हुआ है। एक ही किरदार को दो अलग एक्टर्स के बीच ब्लेंड करने के एक्सपेरिमेंट में वह काफी सफल भी हुए हैं। ह्यूमर सिचुएशनल है। कुछ डायलॉग्स ऐसे हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान छोड़ जाते हैं। फिल्म में खामियां भी हैं, पर उन पर इमोशंस हावी हो जाते हैं। गीत-संगीत जरूर इस 'नमकीन' में स्वादानुसार नहीं है। सिनेमैटोग्राफी उपयुक्त है।
ऋषि व परेश की परफॉर्मेंस खूबसूरत है। परेश, ऋषि की जगह को अच्छी तरह भरते हैं। हालांकि शुरुआत में कनेक्ट करना थोड़ा मुश्किल लगता है। परेश के डिपार्टमेंट में क्यूटनेस की कमी है। यह ऋषि कपूर का विशेष गुण था। जूही चावला की मौजूदगी इस 'नमकीन' को और स्वादिष्ट बनाती है। सतीश कौशिक हमेशा की तरह भरोसेमंद हैं। सुहैल बड़े बेटे की भूमिका में अपनी छाप छोड़ते हैं। ईशा तलवार सीमित स्क्रीन समय के बावजूद अपनी उपस्थिति का एहसास कराती हैं। तारुक रैना ओके हैं। सुलगना पाणिग्रही क्यूट लगी हैं। मेयर के रूप में गेस्ट अपीयरेंस में परमीत सेठी जंचते हैं। शीबा चड्ढा, आयशा रजा, गूफी पेंटल और अन्य सपोर्टिंग कास्ट ने ठीक-ठाक काम किया है। 'शर्माजी नमकीन' एक प्यारी, सरल फिल्म है। इसमें ऋषि कपूर की अदाकारी का प्यारा भरा 'स्वाद' है। दिल छू लेने वाली इस इमोशनल राइड को जरूर देखिए, कहीं भी बोर नहीं होंगे।
रेटिंग: ★★★
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