आरआरआर...  पावर-पैक्ड सीटीमार तमाशा


  • स्क्रीनप्ले-डायरेक्शन: एस. एस. राजामौली
  • स्टोरी: के.वी. विजयेन्द्र प्रसाद
  • डायलॉग्स: रिया मुखर्जी
  • सिनेमैटोग्राफी: के. के. सेंथिल कुमार
  • एडिटिंग: ए. श्रीकर प्रसाद
  • म्यूजिक: एम. एम. क्रीम
  • लिरिक्स: रिया मुखर्जी, वरुण ग्रोवर, के. शिव दत्ता
  • स्टार कास्ट: जूनियर एनटीआर, राम चरण, आलिया भट्ट, अजय देवगन, ओलिविया मॉरिस, समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन, एलिसन डूडी, राहुल रामकृष्ण, श्रेया सरन, मकरंद देशपांडे
  • रनिंग टाइम: 182 मिनट

एस. एस. राजामौली के पास सिनेमाई पर्दे पर कहानी को प्रस्तुत करने की समझ गजब की है। उनके प्रस्तुतिकरण में हर उम्र और वर्ग के दर्शक का ध्यान रखा जाता है। उनके इस हुनर की झलक 'आरआरआर' में भी दिखती है। कई ऐसे दृश्य हैं, जिन पर सीटियां और तालियां बजती हैं, खासकर लीड किरदारों के एंट्री व मिलने के दृश्य, प्री-इंटरवल और क्लाइमैक्स सीक्वेंस पर। बस, लॉजिक नहीं ढूंढना है क्योंकि लॉजिक से ज्यादा 'एंटरटेनमेंट' पर फोकस रखा है। एक्शन सीक्वेंस मूवी के प्लस पॉइंट्स में से एक हैं। वीएफएक्स अच्छे हैं। 'बाहुबली' सीरीज से कम्पेयर करें तो यह जरा हल्की है। कुछ कमियां हैं, फिर भी पावर-पैक्ड एंटरटेनर है।

कहानी उस दौर की है, जब भारत पर अंग्रेजों की हुकूमत थी। ब्रिटिश गवर्नर स्कॉट की पत्नी आदिलाबाद से गोंड समुदाय की बच्ची मल्ली को जबरन दिल्ली ले जाती है। उसी समुदाय का भीम (जूनियर एनटीआर) अंग्रेजों से मल्ली को छुड़ा कर वापस ले जाने का निश्चय कर दिल्ली आता है। जब अंग्रेजों को उसके मिशन की खबर लगती है तो वे किसी भी कीमत पर उसका पता लगाने की ठान लेते हैं। इस काम की जिम्मेदारी ब्रिटिश गवर्नमेंट में पुलिस अफसर राम (राम चरण) खुद आगे बढ़ कर लेता है। ये दोनों एक दूसरे की पहचान से अनजान हैं। एक घटना दोनों की अच्छी दोस्ती का मार्ग प्रशस्त करती है। लेकिन जब भेद खुलता है तो कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट आता है।  कहानी में देसीपन है, जो दिल को लुभाता है। हालांकि फिल्म में इमोशंस थोड़े हल्के पड़ते हैं। निर्देशन में राजामौली का दृष्टिकोण साफ दिखता है। देशप्रेम और दोस्ती के ट्रैक पर चलती कहानी को बड़े दिलचस्प तरीके से रामायण से जोड़ देते हैं। उन्होंने यहां राम को 'द फायर' तो भीम को 'द वॉटर' के रूप में प्रजेंट किया है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है, पर इंटरवल के बाद थोड़ी सुस्ती आती है। पहले हाफ में राजामौली ने दोनों नायकों के जरिए चमत्कृत करने की कोशिश की है। भीम का शेर से लड़ना, राम और भीम द्वारा नदी में आग में घिरे लड़के की जान बचाना, भीम-राम की दोस्ती और भीम व जेनी का लव एंगल जैसे हिस्से मनोरंजन करते हैं। इंटरवल पॉइंट पर फिल्म को अहम मोड़ देने की कोशिश की है लेकिन कहानी ठहर-सी जाती है। दूसरे हाफ में फिल्म का ग्राफ नीचे आता है। उतार-चढ़ाव के बीच कहानी के ऐब छुप जाते हैं। गीत-संगीत कमजोर है। सिर्फ 'नाचो नाचो' सॉन्ग ही अच्छा बन पड़ा है। बैकग्राउंड स्कोर कहानी से मेल खाता है। केके सेंथिल कुमार की सिनेमैटोग्राफी शानदार है। एडिटिंग की गुंजाइश है। फिल्म की लंबाई 10-15 मिनट कम की जा सकती थी। 

यह फिल्म जूनियर एनटीआर व राम चरण का शो है। दोनों ने अपना किरदार बखूबी जीया है। फाइट व डांस सीक्वेंस में भी दोनों जबरदस्त हैं। दोनों को 'हीरोगिरी' दिखाने के लिए खुला मैदान दिया गया है। कैमियो में अजय देवगन असरदार हैं। आलिया भट्ट के लिए ज्यादा स्कोप नहीं है। ओलिविया मॉरिस प्रभावित करती हैं। श्रेया सरन दो-चार सीन में नजर आती हैं। फिल्म वन टाइम वॉच है। बतौर निर्देशक राजामौली का कद इतना बड़ा हो चुका है कि उनसे इससे कहीं बेहतर फिल्म की उम्मीद थी।

रेटिंग: ★★½