रोमांच के चरम से कुछ दूर रह गई 'रुद्र'


  • डायरेक्शन: राजेश मापुस्कर
  • राइटिंग: ईशान त्रिवेदी, अब्बास दलाल, हुसैन दलाल
  • डायलॉग्स: जय शीला बंसल, चिराग महाबल, गगन सिंह सेठी
  • सिनेमैटोग्राफी: संजय के. मेमाने 
  • एडिटिंग: अंतरा लाहिड़ी
  • म्यूजिक डायरेक्टर: तपस रेलिया
  • टाइटल सॉन्ग: अनन्या बिड़ला
  • एक्शन डायरेक्शन: अमर शेट्टी
  • कॉस्ट्यूम डिजाइन: निहारिका भसीन
  • जॉनर: साइकोलॉजिकल थ्रिलर
  • स्टार कास्ट: अजय देवगन, राशि खन्ना, ईशा देओल तख्तानी, अतुल कुलकर्णी, आशीष विद्यार्थी, अश्विनी कलसेकर, सत्यदीप मिश्रा, तरुण गहलोत, राजेश जैस, राजीव कचरू, मिलिंद गुणाजी, विक्रम सिंह चौहान, के. सी. शंकर, हेमंत खेर, प्रियंका सेतिया, ल्यूक केनी, चंद्रेश सिंह, स्वप्निल अजगांवकर, अंकित सिंह, साद चौधरी, वनिता हरिहरन, रजत शर्मा
  • रनिंग टाइम: 318 मिनट

वेब सीरीज 'रुद्र: द एज ऑफ डार्कनेस' में अजय देवगन एक ऐसे पुलिस अफसर के रोल में हैं, जो अपराधियों को पकड़ने और उन्हें कड़ा सबक सिखाने के जुनून में नियम-कायदे तोड़ने से भी नहीं चूकता। यह वेब सीरीज नील क्रॉस द्वारा क्रिएट किए ब्रिटिश शो 'लूथर' पर आधारित है। मगर, 'रुद्र' की बनावट और बुनावट में कसावट की कमी है। इस कारण यह रोमांच के चरम पर नहीं ले जा पाती। पूरी सीरीज अजय के कंधों पर टिकी है। यह हिस्सों में अच्छी तो है, पर एक शानदार पेशकश नहीं है। 

कहानी में डीसीपी रुद्रवीर सिंह (अजय देवगन) मुंबई में स्पेशल क्राइम्स यूनिट का तेज-तर्रार अफसर है, पर वह सात माह से निलंबित है। तभी शहर में 'चाइल्ड प्रॉडिजी' आलिया चोकसी (राशि खन्ना) के माता-पिता की हत्या हो जाती है। रुद्र का निलंबन हटाकर उसे इस केस का जिम्मा सौंपा जाता है। रुद्र तहकीकात शुरू करता है। वह 'जीनियस' आलिया से पूछताछ करता है तो उसके अजीबोगरीब जवाब और व्यवहार से रुद्र को वह सस्पेक्ट लगती है। रुद्र जुर्म की तह तक पहुंचने को लेकर जुनूनी है। इसी जुनून ने उसकी निजी जिंदगी में खलबली मचा रखी है। दरअसल, रुद्र की पत्नी शैला (ईशा देओल) उसे बताती है कि उसकी जिंदगी में कोई है। शैला तलाक दिए बिना राजीव (सत्यदीप मिश्रा) के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहती है। अपराध की गुत्थी सुलझने के साथ ही रुद्र की निजी जिंदगी की परतें भी हटने लगती हैं...।

राजेश मापुस्कर निर्देशित ‘रुद्र’ का कथा विस्तार ‘लूथर’ के हिसाब से ही आगे बढ़ता है। बस, फ्लेवर जरा इंडियन है। राजेश का निर्देशन ठीक-ठाक है। हालांकि कई किरदारों का 'चरित्र' ढंग से नहीं उभर पाए, वहीं भावनात्मक दृश्यों से दर्शक जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते। पटकथा कई जगह सुस्त पड़ती नजर आती है। 'पूरा सिस्टम ही जुमलों पर चल रहा है', 'इश्क है कभी तो खत्म होगा', 'कई बार कपल जो साथ नहीं सोते, उनकी मैरिज बेहतर होती है' जैसे वन-लाइनर्स अच्छे हैं। सिनेमैटोग्राफी डार्क है, जो उस माहौल के साथ तालमेल बिठाती है, जिसे निर्देशक ने वेब सीरीज के लिए क्रिएट किया है। अनन्या बिड़ला का डार्क विजुअल टोन के साथ ओपनिंग थीम सॉन्ग अच्छा है। तपस रेलिया का बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक है। एडिटिंग की गुंजाइश है। 

अजय की परफॉर्मेंस को लेकर शक जरा भी नहीं है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशंस गजब के हैं। राशि खन्ना के अभिनय में कोशिश की 'उम्मीद' झलकती है, लेकिन उनका किरदार अधपका-सा है। हालांकि अजय और राशि के साथ में दृश्य अच्छे हैं। अतुल कुलकर्णी हमेशा की तरह विश्वसनीय हैं। उनका किरदार हौले-हौले रंग में आता है। रुद्र के असिस्टेंट इंस्पेक्टर प्रबल ठाकुर की भूमिका में तरुण गहलोत को अच्छा स्क्रीन स्पेस मिला है। अश्विनी कलसेकर इस सीरीज में रुद्र की बॉस हैं, पर ज्यादा असरदार नहीं लगती। आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा के किरदार एक परिधि में सीमित होकर रह गए। खल चरित्रों में मिलिंद गुणाजी, के. सी. शंकर और ल्यूक केनी जोरदार हैं। बहरहाल, यह एक मुकम्मल थ्रिलर नहीं है। फिर भी अगर आप अजय के प्रशंसक हैं तो टाइमपास के लिहाज से इस वेब सीरीज को देख सकते हैं। वैसे भी कभी-कभी कोई वजह नहीं होती, कुछ करने की।

रेटिंग: ★★½