टाइटल है 'टोटल धमाल', मनोरंजन 'धमाल' स्तर का भी नहीं


  • डायरेक्शन : इंद्र कुमार
  • स्टोरी-स्क्रीनप्ले : वेद प्रकाश, परितोष पेंटर, बंटी राठौड़
  • म्यूजिक : गौरव-रोशिन
  • सिनेमैटोग्राफी : केइको नकाहारा
  • एडिटिंग : धर्मेन्द्र शर्मा
  • स्टार कास्ट : अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अरशद वारसी, रितेश देशमुख, जावेद जाफरी, बोमन ईरानी, संजय मिश्रा, पितोबाश त्रिपाठी ईशा गुप्ता, जॉनी लीवर, मनोज पाहवा, महेश मांजरेकर, सुदेश लहरी, विजय पाटकर
  • आइटम नंबर : सोनाक्षी सिन्हा
  • वॉइस : जैकी श्रॉफ
  • रनिंग टाइम : 127 मिनट
इंद्र कुमार निर्देशित 'धमाल' फ्रेंचाइजी की तीसरी फिल्म 'टोटल धमाल' में किरदार एक बार फिर बचकानी हरकतें और बेवकूफियां करते नजर आते हैं, जिससे हास्य परिस्थितियां बनती हैं। फिर भी 'टोटल धमाल' टाइटल वाली इस एडवेंचर-कॉमेडी में वो बात नहीं है, जो साल 2007 में आई फिल्म 'धमाल' में थी। उस फिल्म को दर्शक आज भी देखते हैं तो हंसते-हंसते पेट पकड़ लेते हैं। 'धमाल' सीरीज की इस फिल्म में कुछ बदलाव हुए हैं। संजय दत्त की जगह अजय देवगन ने ली है, वहीं अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की जोड़ी लम्बे अर्से बाद सिल्वर स्क्रीन पर फिर से साथ नजर आई है।
फिल्म की कहानी में 'धमाल' की तरह रुपए से भरा बैग हासिल करने की रेस है। दरअसल, कहानी में गुड्डू (अजय देवगन) अपने साथी जॉनी (संजय मिश्रा) और पिंटू (मनोज पाहवा) के साथ 50 करोड़ रुपए लूटता है, पर पिंटू दोनों को धोखा देकर सारे रुपए लेकर गायब हो जाता है। यह लूटा हुआ माल पुलिस कमिश्नर (बोमन ईरानी) का काला धन है। जैसे-तैसे गुड्डू और जॉनी पिंटू का पता लगा लेते हैं, लेकिन वह फिर से चकमा देकर निकल जाता है। कहानी में मोड़ तब आता है जब अपने साथियों से बचकर भागते समय पिंटू के साथ एक हादसा हो जाता है। जहां उसका एक्सीडेंट होता है, वहां गुड्डू व जॉनी के अलावा लल्लन (रितेश देशमुख)-झिंगुर(पितोबाश त्रिपाठी), डिवोर्स लेकर अपने बेटे से मिलने जा रहा कपल अविनाश(अनिल कपूर)-बिंदु(माधुरी दीक्षित) और आदि(अरशद वारसी)-मानव(जावेद जाफरी) की जोड़ी भी होती है। अंतिम सांस लेने से पहले पिंटू उनको बताता है कि उसने बैग जनकपुर में जू के 'ओके' में छुपा रखा है। सभी में धन का लालच आ जाता है। लंबी बहस के बाद सब मिलकर तय करते हैं कि जो सबसे पहले पहुंचकर बैग ढूंढ निकालेगा, सारा माल उसका हो जाएगा। इसके बाद 50 करोड़ रुपए पाने की दौड़ शुरू होती है, जिसमें कुछ हल्के-फुल्के ट्विस्ट्स आते हैं।

स्टोरी में नयापन नहीं, स्क्रीनप्ले भी लचर

इन्द्र कुमार ने एडवेंचर के साथ कॉमेडी का तालमेल बनाकर मनोरंजन गढऩे की औसत कोशिश की है। फिल्म का प्लॉट एकदम साधारण है। कहानी में फ्रेशनेस गायब है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं है। कई दृश्य ऐसे हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि इन्हें जबरदस्ती विस्तार दिया गया है। पहला हाफ धीमा है। फिल्म के किरदार यूं तो खुद को चालाक समझते हैं, पर इसी चालाकी के फेर में वे एक के बाद एक बेवकूफियां करते जाते हैं। इससे क्रिएट होने वाली सिचुएशंस हंसाती है। कलाकारों की परफॉर्मेंस कामचलाऊ है। अजय देवगन और संजय मिश्रा की हास्य जुगलबंदी ठीक है, लेकिन संजय कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग करते दिखे हैं। अनिल-माधुरी की जोड़ी अपनी नोक-झोंक से एंटरटेन करती है। अरशद वारसी और जावेद जाफरी भी अपनी कॉमिक टाइमिंग से गुदगुदाते हैं, खासकर मानव (जावेद) का बच्चों की तरह सवाल करना और बचकानी हरकतें करना मजेदार है। रितेश देशमुख व पितोबाश त्रिपाठी का काम सराहनीय है। सपोर्टिंग कास्ट में बोमन ईरानी, जॉनी लीवर, मनोज हवा, महेश मांजरेकर और विजय पाटकर का काम ओके है। म्यूजिक एवरेज है। सॉन्ग 'पैसा ये पैसा' और 'मूंगड़ा' को फिल्म में रीक्रिएट किया है। आइटम नंबर 'मूंगड़ा' में सोनाक्षी सिन्हा अपनी अदाओं और लटके-झटके से दिल जीतने की कोशिश करती हैं। ब्रिज का गिरना, क्रैश हेलिकॉप्टर की लैंडिंग, ट्रेन से कार की टक्कर, नदी में सैलाब, कारों की टक्कर सरीखे सीन एक अलग रोमांच देते हैं। इन सीक्वेंस में वीएफएक्स का यूज अच्छे ढंग से किया है। सिनेमैटोग्राफी अट्रैक्टिव है, मगर संपादन सुस्त है।

क्यों देखें :  फिल्म में जितनी लंबी स्टार कास्ट है, उतना धमाल तो नहीं है, फिर भी यह टुकड़ों में हंसने का मौका देती है। अगर आप तर्क ढूंढने में दिमाग न लगाएं तो यह आपको मजेदार लगेगी। खैर, यह एक ऐसी फैमिली एंटरटेनर है, जिसे टाइमपास के लिए एक बार देखा जा सकता है।

रेटिंग: ½