लुका छुपी : मुद्दा सीरियस,  फिल्म कॉमिक नतीजा एंटरटेनमेंट


  • डायरेक्शन : लक्ष्मण उतेकर
  • राइटिंग : रोहन शंकर
  • म्यूजिक : तनिष्क बागची, वाइट नॉइज, अभिजीत वघानी
  • सिनेमैटोग्राफी : मिलिंद जोग
  • एडिटिंग : मनीष प्रधान
  • स्टार कास्ट : कार्तिक आर्यन, कृति सैनन, अपारशक्ति खुराना, पंकज त्रिपाठी, अतुल श्रीवास्तव, विनय पाठक, अलका अमीन, विश्वनाथ चटर्जी, अभिनव शुक्ला
  • रनिंग टाइम : 126 मिनट 
हिन्दी सिनेमा के लिए लिव-इन रिलेशनशिप थीम नई नहीं है। इस थीम पर पहले भी कई फिल्में आ चुकी हैं, जिनमें कुछ सफल तो कुछ विफल रही हैं। अब कार्तिक आर्यन और कृति सैनन स्टारर फिल्म 'लुका छुपी' भी इसी थीम पर बेस्ड है। फिल्म में डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने आधुनिक समाज की यंग जनरेशन से जुड़े इस मुद्दे को भुनाने का प्रयास किया है। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीर अंदाज में पेश करने की बजाय हल्के-फुल्के ढंग से परोसा है, जो कि इसे मजेदार बनाता है। यह रोमांटिक-कॉमेडी लिव-इन पर लेक्चर नहीं देती, बल्कि सिचुएशन के अनुसार समाज को यह मैसेज देती है कि अगर प्रेम है तो सब पवित्र है। लिव-इन में रहने वाले कपल को हिकारत भरी नजरों से नहीं देखना चाहिए, ना ही उनके चेहरे पर कालिख पोत कर उन्हें शहर भर में घुमाना चाहिए।

गुड्डू और रश्मि का फैसला बन जाता है सियापा

यह कहानी मथुरा की है, जहां गुड्डू शुक्ला (कार्तिक आर्यन) स्थानीय टीवी चैनल मथुरा लाइव का स्टार रिपोर्टर है। इसी शहर के राजनेता विष्णु प्रसाद त्रिवेदी (विनय पाठक) हैं, जो संस्कृति रक्षा मंच चलाते हैं और खुद को संस्कृति का रक्षक जाहिर करते हैं। नेताजी के लोग लिव-इन में रहने वाले जोड़ों का विरोध करते हैं और उन्हें समाज के सामने इतनी बुरी तरह जलील करते हैं, ताकि कोई और उनकी तरह लिव-इन में रहने की हिमाकत न कर सके। इधर, विष्णु त्रिवेदी की बेटी रश्मि (कृति सैनन) मथुरा लाइव में ही इंटर्नशिप करने लगती है। उसे गुड्डू की सहयोगी के तौर पर काम करने का मौका मिलता है। गुड्डू और रश्मि कैमरामैन अब्बास (अपारशक्ति खुराना) के साथ न्यूज कवरेज करते हैं। इसी दौरान गुड्डू को रश्मि से प्यार हो जाता है और एक दिन वह रश्मि को शादी के लिए प्रपोज कर देता है। लेकिन रश्मि शादी के लिए तैयार नहीं है, वह कहती है कि हमें भी लिव-इन ट्राई करना चाहिए, आजकल तो सब करते हैं। इससे एक-दूसरे को जानने का मौका भी मिल जाएगा। उनके लिव-इन में रहने के कदम के बाद कहानी में ऐसा सियापा होता है कि लुका छुपी का खेल चल पड़ता है।

कार्तिक-कृति की 'लुका छुपी' में एंटरटेनमेंट आया सामने

कहानी साधारण सी है, मगर उसको प्रजेंट करने का तरीका रोचक है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है, हालांकि इसमें और कसावट आ सकती थी, जिससे फिल्म ज्यादा मजेदार होती। फिल्म की खास बात अजीबोगरीब सिचुएशंस से पनपने वाली कॉमेडी है, जो हंसाती है। डायलॉग्स और कॉमिक पंच इसमें मनोरंजन का तड़का लगाते हैं। निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने यंग ऑडियंस के टेस्ट को समझते हुए रोमांस के साथ कॉमेडी का कॉकटेल बनाने का अच्छा प्रयास किया है, जिसमें वह कामयाब रहे हैं। 'प्यार का पंचनामा' सीरीज, 'सोनू के टीटू की स्वीटी' सरीखी फिल्मों से कार्तिक आर्यन ने युवा दर्शकों में पैठ बना ली है। वह चार्मिंग बॉय के रूप में पहचाने जाने लगे हैं। गुड्डू की भूमिका में भी उनका चार्म एक बार फिर दर्शकों को सम्मोहित करने में खरा उतरा है। उनकी मासूमियत और बोलने का अंदाज दिल को लुभाता है। फिल्म 'बरेली की बर्फी' में अपनी अदाओं से प्रभावित करने वाली कृति सैनन ने आधुनिक सोच की लड़की का किरदार भीतर से ​जीया है। उनका बिंदासपन लुभाता है। हीरो की तुलना में वह ज्यादा डेयरिंग नजर आई हैं। अपारशक्ति की सपोर्टिंग रोल में एक अलग पहचान है। इस​ फिल्म में भी दोस्त के रोल में अपारशक्ति का काम उम्दा है। वह अपनी कॉमिक टाइमिंग से गुदगुदाते हैं। राजनेता और कड़क पिता के रोल में विनय पाठक जमे हैं। वहीं पंकज त्रिपाठी अपनी छिछोरी हरकतों से जमकर हंसाते हैं। वह जब भी स्क्रीन पर आते हैं, हंसी फूट पड़ती है। अतुल श्रीवास्तव और अलका अमीन ने गुड्डू के माता-पिता की भूमिका अच्छे से निभाई। म्यूजिक जरूर एवरेज है। ऐसा कोई गाना नहीं है, जो याद रह जाए। मथुरा और ग्वालियर की गली-मोहल्लों का फिल्मांकन खूबसूरत है। संपादन ओके है।
क्यों देखें : 'लुका छुपी' की कहानी में पनपी परिस्थितियां बरबस ही चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती हैं। कार्तिक और कृति के अलावा अन्य कलाकारों की जबरदस्त परफॉर्मेंस हास्य की जमकर डोज देती है। लिहाजा लिव-इन रिलेशनशिप की इस 'लुका छुपी' को बेशक देख सकते हैं।
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