दमदार नहीं है यह 'पलटन' 


  • राइटिंग-डायरेक्शन : जेपी दत्ता
  • म्यूजिक : अनु मलिक
  • सिनेमैटोग्राफी : शैलेष एवी अवस्थी, निगम बोमजान
  • एडिटिंग : बल्लू सलूजा
  • बैकग्राउंड स्कोर : संजोय चौधरी
  • लिरिक्स : जावेद अख्तर
  • स्टार कास्ट : जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, गुरमीत चौधरी, हर्षवर्धन राणे, सिद्धांत कपूर, लव सिन्हा, रोहित रॉय, सोनल चौहान, ईशा गुप्ता, दीपिका कक्कड़, मोनिका गिल, अभिलाष चौधरी, नागेन्द्र चौधरी
  • रनिंग टाइम : 154.19 मिनट
फिल्मकार जे.पी. दत्ता ने 'बॉर्डर', 'एलओसी कारगिल' सरीखी युद्ध बेस्ड फिल्में बनाई हैं, जिनमें उन्होंने देशभक्ति और सैनिकों की बहादुरी को दिखाया था। 'उमराव जान' के करीब 12 साल बाद अब जे.पी. दत्ता एक बार फिर युद्ध आधारित फिल्म 'पलटन' लेकर आए हैं। 'बॉर्डर' व 'एलओसी...' में जहां दुश्मन पाकिस्तान था, वहीं 'पलटन' में भारतीय सैनिकों का सामाना चीन से है। फिल्म की कहानी 1962 में चीन द्वारा नाथू ला पासिंग पर हमला करने से शुरू होती है। इसमें 1383 भारतीय जवान शहीद हो जाते हैं। इसके पांच साल बाद मेजर जनरल सगत सिंह (जैकी श्रॉफ) लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह (अर्जुन रामपाल) को नाथू ला पोस्ट पर तैनात करते हैं। उनके अंडर में मेजर बिशन सिंह (सोनू सून), मेजर हरभजन (हर्षवर्धन राणे), कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर (गुरमीत चौधरी), सैकंड लेफ्टिनेंट अतर सिंह (लव सिन्हा) और हवलदार पाराशर (सिद्धांत कपूर) पलटन के साथ सीमा की सुरक्षा में लग जाते हैं। चीन की नीयत में खोट के चलते भारत की ओर से सीमा पर फेंसिंग का काम शुरू किया जाता है, लेकिन चीन की दखल के कारण युद्ध जैसी परिस्थिति बन जाती है।

प्रजेंटेशन में फ्रेशनेस नहीं

जे.पी. दत्ता को पैट्रिऑटिक और वॉर बेस्ड फिल्मों में महारत हासिल है, लेकिन अब वह टाइपकास्ट हो गए हैं। असल में फिल्म के प्रजेंटेशन में फ्रेशनेस मिसिंग है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं है, जिसके कारण यह दर्शकों के इमोशंस को पूरी तरह कनेक्ट नहीं करती। इससे देशप्रेम का वह जज्बा नहीं जगता, जो 'बॉर्डर' को देखते हुए फील होता है। पहला हाफ स्लो है, कुछ दृश्य ज्यादा लंबे हो गए हैं। सोल्जर्स की बैक स्टोरीज भी आधे-अधूरे ढंग से दिखाई गई हैं। दूसरे हाफ में वॉर सीक्वेंस को आकर्षक ढंग से फिल्माया गया है। डायलॉग्स दमदार नहीं हैं। अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, हर्षवर्धन राणे, गुरमीत चौधरी और जैकी श्रॉफ ने अच्छा काम किया है। लव सिन्हा ठीक लगे हैं, लेकिन सिद्धांत कपूर के पास करने को कुछ नहीं था। चीनी कलाकारों की कास्टिंग पर काम नहीं किया गया। उनका बार-बार हिंदी में बात करना अखरता है। म्यूजिक भी बेअसर है।

क्यों देखें : फिल्म में भारतीय सैनिकों को हौसले और बहादुरी से चीनी सेना का सामना करते देखना सुखद है। इसके बावजूद देशभक्ति उभरकर सामने नहीं आती। ऐसे में अगर आप वॉर फिल्मों के शौकीन हैं तो टाइमपास के लिए देख सकते हैं 'पलटन'।

रेटिंग: ½