मनभावन है यह 'स्त्री' 


  • डायरेक्शन : अमर कौशिक
  • राइटिंग : राज एंड डीके
  • डायलॉग्स : सुमित अरोड़ा
  • म्यूजिक : सचिन-जिगर
  • बैकग्राउंड स्कोर : केतन सोढ़ा
  • सिनेमैटोग्राफी : अमलेंदु चौधरी
  • एडिटिंग : हेमंती सरकार
  • स्टार कास्ट : राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर, पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना, अभिषेक बनर्जी, विजय राज, अतुल श्रीवास्तव
  • आइटम नंबर : नोरा फतेही, कृति सैनन
डेब्यूटेंट डायरेक्टर अमर कौशिक अपनी फिल्म 'स्त्री' से दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ डराने में भी कामयाब रहे हैं। फिल्म की स्टोरी, प्रजेंटेशन, एक्टर्स की परफॉर्मेंस और शुरू से अंत तक आने वाले ट्विस्ट्स एंड टर्न्स इतने असरदार हैं कि करीब दो घंटे सिनेमाघर में कब बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता। कहानी के बैकड्रॉप में चंदेरी है, जहां चार दिन का पूजा पर्व चल रहा है, लेकिन स्त्री नामक चुड़ैल के डर से लोगों ने घर की दीवार पर लाल स्याही से लिख रखा है 'ओ स्त्री कल आना'। वहीं चंदेरी में एक फेमस लेडीज टेलर है विकी (राजकुमार राव)। बिट्टू (अपारशक्ति) व जना (अभिषेक) उसके दोस्त हैं। इसी दौरान विकी की मुलाकात अनाम रहस्यमयी लड़की (श्रद्धा) से होती है, जो लहंगा सिलवाने उसके पास आती है। विकी उसका दीवाना हो जाता है। विकी के दोस्त कहते हैं कि उसकी गर्लफ्रेंड भूतिया है। इधर, चंदेरी से मर्दों के गायब होने का सिलसिला शुरू हो जाता है, रह जाते हैं तो सिर्फ उनके कपड़े। यहां तक कि स्त्री जना को भी ले जाती है। इसके बाद विकी व बिट्टू स्त्री पर शोध करने वाले रूद्र के साथ जना की तलाश शुरू करते हैं। फिर कई चौंकाने वाले खुलासे होते हैं।

बेहतरीन स्टोरी व स्क्रीनप्ले, परफेक्ट डायरेक्शन और परफॉर्मेंस

कहानी बेहतरीन है और स्क्रीनप्ले एंगेजिंग व थ्रिलिंग है, जिसमें फर्स्ट फ्रेम से लेकर क्लाइमैक्स तक जबरदस्त ट्विस्ट्स आते हैं। अमर कौशिक का निर्देशन काबिलेतारीफ है। यही नहीं, संवाद और कॉमिक पंच दमदार हैं, जिससे डर के बीच हंसी के फव्वारे फूट पड़ते हैं। कैमरा वर्क और बैकग्राउंड स्कोर लाजवाब है। कई दृश्यों का पिक्चराइजेशन इतना आकर्षक है कि एक पल तो सिहरन पैदा कर देते हैं, वहीं अगले पल पेट पकड़ कर हंसने का मौका देते हैं। परफॉर्मेंस के मामले में राजकुमार राव एक बार फिर फ्रंट सीट पर हैं। उनकी एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी उम्दा है। श्रद्धा कपूर ने भी अपना काम बखूबी किया है। अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी अपनी कॉमिक टाइमिंग से गुदगुदाते हैं। इन सबके बीच पंकज त्रिपाठी जब भी स्क्रीन पर आते हैं, सारा ध्यान अपने पर खींच लेते हैं। उनकी अपीयरेंस हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देने वाली है। फिल्म का म्यूजिक अच्छा है।

क्यों देखें : 'स्त्री' कम्प्लीट एंटरटेनिंग पैकेज है, जिसमें कॉमेडी है तो सस्पेंस भी। डर और हास्य के परफेक्ट कॉम्बिनेशन के साथ एक्टर्स की परफॉर्मेंस इसे मनोरंजक पेशकश बनाती है। हॉरर-कॉमेडी 'स्त्री' मनभावन फिल्म है, जिसे देखना एक सुखद अनुभव रहेगा।

रेटिंग: ½