'विश्वरूप 2': सिनेमैटिक एंगल से बिगड़ा हुआ है स्वरूप


  • राइटिंग-डायरेक्शन : कमल हासन
  • डायलॉग्स : अतुल तिवारी
  • सिनेमैटोग्राफी : सानू वर्गीस, शामदत सैनुद्दीन
  • एडिटर : महेश नारायणन, विजय शंकर
  • म्यूजिक : मोहम्मद गिब्रान
  • स्टार कास्ट : कमल हासन, राहुल बोस, पूजा कुमार, एंड्रिया जर्मिया, शेखर कपूर, जयदीप अहलावत, वहीदा रहमान, अनंत महादेवन, नासर
  • रनिंग टाइम : 144.43 मिनट
कमल हासन की फिल्म 'विश्वरूप 2' टेरेरिज्म के इर्द-गिर्द घूमती है। 'विश्वरूप 2' उनकी 2013 में आई एक्शन स्पाइ थ्रिलर 'विश्वरूप' का प्रीक्वल और सीक्वल, दोनों है, क्योंकि कहानी कभी फ्लैशबैक में जाती है तो कभी वर्तमान में आगे बढ़ती है। हालांकि इससे कहानी उलझ गई है और काफी कन्फ्यूज करती है। मूवी में कमल न सिर्फ लीड रोल में हैं, बल्कि निर्माण, निर्देशन व लेखन की बागडोर भी उनके हाथ में है।

आतंकवाद के खिलाफ एक और मिशन

कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां 'विश्वरूप' खत्म हुई थी। निरुपमा (पूजा कुमार) अपने पति रॉ एजेंट विजाम अहमद कश्मीरी (कमल हासन) को लेकर इन्सिक्योर है। इधर, विजाम, सहयोगी अस्मिता (एंड्रिया जर्मिया), वाइफ निरुपमा और अपने बॉस के साथ यूके में एक आतंकी हमले की आशंका पर पहुंचता है। यहां आते ही उनको जान से मारने की कोशिश की जाती है। इसके बाद विजाम एक बार फिर आतंक को मिटाने के मिशन पर लग जाता है।

थका हुआ सा रॉ एजेंट

रॉ एजेंट के रोल में कमल हासन की परफॉर्मेंस में दम नहीं है। लव मेकिंग और एक्शन सीक्वेंस में उनकी उम्र का असर दिखता है। एक्शन सीक्वेंस में वह स्लो हैं। एंड्रिया की एक्टिंग बढिय़ा है, वहीं कमल की वाइफ के रोल में पूजा कुमार ओके हैं। विलेन की भूमिका में राहुल बोस बेहद कमजोर लगे हैं। वह टेरेरिस्ट जैसा खौफ पैदा करने में नाकाम रहे। जयदीप की एक्टिंग अच्छी है। वहीदा रहमान कुछ दृश्यों में हैं, लेकिन परफेक्ट हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक-ठाक है।

पेचीदा स्टोरी करती है इरिटेट

कमल फिल्म के राइटर और डायरेक्टर हैं, लेकिन न तो वह एंगेजिंग स्क्रिप्ट तैयार कर पाए और न ही निर्देशन में छाप छोड़ पाए। सिनेमैटिक एंगल से देखें तो फिल्म कहीं भी असरदार नहीं लगती। फिल्म में ना तो रोमांच है और ना ही जबरदस्त एक्शन सीन। स्टोरी इतनी पेचीदा है कि शुरू से अंत तक सिर्फ इरिटेट करती है। गीत-संगीत के मामले में भी फिल्म फिसड्डी है। संपादन सुस्त है, वहीं सिनेमैटोग्राफी एवरेज है।

तौबा करने में ही है खैरियत

'विश्वरूप 2' में ऐसा कुछ भी मजेदार नहीं है, जिसके लिए सिनेमाघरों का रुख किया जाए। यह सिर्फ मनी और टाइम की बर्बादी है। अगर आप कमल के फैन हैं तो अपनी रिस्क पर ही फिल्म देखें, क्योंकि यह बेहद उबाऊ है।

रेटिंग: ½