दर्शकों के सामने 'परमाणु' का सफल परीक्षण

  • डायरेक्शन : अभिषेक शर्मा
  • राइटर : सैविन क्वाड्रास, संयुक्ता चाावला शेख, अभिषेक शर्मा
  • म्यूजिक : सचिन-जिगर, जीत गांगुली
  • सिनेमैटोग्राफर : असीम मिश्रा, जुबिन मिस्त्री       
  • एडिटिंग : रामेश्वर एस. भगत 
  • स्टार कास्ट : जॉन अब्राहम, डायना पेंटी, बोमन ईरानी, दर्शन पांड्या, अनुजा साठे, विकास कुमार, योगेन्द्र टिक्कू
  • रनिंग टाइम : 129.32 मिनट
हीरो वर्दी से नहीं इरादे से बनते हैं... इस पंक्ति को सार्थक सिद्ध करती है निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म 'परमाणु :  द स्टोरी ऑफ पोखरण'। सत्य घटना पर आधारित यह फिल्म उन हीरोज के हौसले और मेहनत को सैल्यूट करती है, जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बावजूद 1998 में राजस्थान के पोखरण में न्यूक्लियर बम टेस्ट को सफल बनाया। जॉन अब्राहम अभिनीत इस फिल्म में उस ऐतिहासिक उपलब्धि को इतनी रोचकता के साथ प्रजेंट किया गया है, जिसे देखकर देश के प्रति गर्व के जज्बात जागृत होते हैं।

कहानी है परमाणु परीक्षण के मिशन की

साल 1995 में चीन एक बार फिर परमाणु परीक्षण करता है। इसे लेकर भारतीय प्रधानमंत्री ऑफिस में चल रही बातचीत के दौरान यंग ऑफिसर अश्वत रैना (जॉन) सलाह देता है कि अब वह समय आ गया है जब भारत को भी न्यूक्लियर पावर बनने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। इसके बाद भारत भी परमाणु परीक्षण की तैयारी में जुट जाता है, पर अश्वत की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को पूरा और ढंग से स्टडी किए बिना उठाया गया यह कदम अमरीका की दखल के कारण सफल नहीं हो पाता। इस विफलता का ठीकरा अश्वत पर फोड दिया जाता है और उसे बर्खास्त कर दिया जाता है। इसके बाद अश्वत पत्नी सुषमा और बेटे प्रहलाद के साथ मसूरी आ जाता है। यहीं वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को टीचिंग देना शुरू कर देता है। तीन साल बाद सियासी हालात बदलते हैं। पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हिमांशु शुक्ला (बोमन) अश्वत को बुलाकर परमाणु परीक्षण पर बात करते हैं। इसके बाद अश्वत कहता है कि इसके लिए एक टीम बनानी होगी, फिर वह शुक्ला की परमिशन से पांच लोगों को अपनी टीम में चुनता है और इस मिशन में वह उनके नाम महाभारत के पांडवों के नाम पर रखता है। फिर शुरू होता है पोखरण में परमाणु परीक्षण करने का मिशन।

अभिनय है खास

जॉन ने इंटेंस कैरेक्टर में शानदार परफॉर्मेंस दी है। वह किरदार में पूरी तरह रम गए हैं। वहीं, अंबालिका की रोल में डायना पेंटी ने सहज अभिनय किया है। अश्वत की पत्नी सुषमा की भूमिका में अनुजा साठे परफेक्ट हैं। बोमन ईरानी एक बार फिर जबरदस्त अंदाज में नजर आए हैं। सपोर्टिंग कास्ट में विकास कुमार, योगेन्द्र टिक्कू, दर्शन पांड्या और  आदित्य हितकारी ने भी अच्छी अदाकारी दिखाई है।

स्क्रीनप्ले है एंगेजिंग

'तेरे बिन लादेन' फेम अभिषेक शर्मा का निर्देशन वाकई बढ़िया है। फिल्म में उस दौर के फुटेज को भी बड़े ही आकर्षक ढंग से इस्तेमाल किया गया है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है, जिसे सैविन, संयुक्ता चावला और अभिषेक ने अपनी क्रिएटिविटी से निखारा है। इसीलिए फिल्म देखते समय देशप्रेम की भावना चरम पर महसूस होती है। गीत-संगीत कहानी की डिमांड के अनुसार है। सिनेमैटोग्राफी और लोकेशंस अट्रैक्टिव हैं।

क्यों देखें : मूवी में जटिल विषय को सरलता के साथ मनोरंजक ढंग से प्रजेंट किया गया है। 'परमाणु' के सफल परीक्षण का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह पूरे समय कौतुहल बनाए रखती है। लिहाजा पोखरण की उत्कृष्ट गाथा 'परमाणु' को देखना तो बनता है।

रेटिंग: ½