जज्बात और रोमांच का 'जज्बा'
- स्टार कास्ट : ऐश्वर्या राय बच्चन, इरफान खान, शबाना आजमी, चंदन रॉय सान्याल, जैकी श्रॉफ, अतुल कुलकर्णी, प्रिया बनर्जी, सिद्धांत कपूर, अभिमन्यु सिंह, सारा अर्जुन
- प्रोड्यूसर-डायरेक्टर : संजय गुप्ता
- स्क्रीनप्ले : संजय, रॉबिन भट्ट
- म्यूजिक डायरेक्टर : अर्को, अमजद-नदीम, बादशाह
श्री देवी (इंग्लिश विंग्लिश), करिश्मा कपूर (डेंजरस इश्क), माधुरी दीक्षित (डेढ़ इश्किया, गुलाब गैंग) के बाद अपने दौर की एक और शिखर सितारा ऐश्वर्या राय बच्चन ने फिल्म 'जज्बा' से बॉलीवुड में कमबैक किया है। राइटर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर संजय गुप्ता ने यह क्राइम थ्रिलर पूरी तरह ऐश्वर्या की वापसी को ध्यान में रखते हुए बनाई है और ऐश ने भी अपने अभिनय से वापसी का जज्बा दिखाया है। साउथ कोरियन फिल्म 'सेवन डेज' (2007 ) से इंस्पायर्ड 'जज्बा' में ऐश्वर्या टॉप क्रिमिनल लॉयर अनुराधा वर्मा के किरदार में हैं, जिसका शत-प्रतिशत ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। मोस्ट पॉपुलर लॉयर होने के साथ वह सिंगल मदर भी है, जो बेटी सनाया (सारा अर्जुन) से बहुत प्यार करती है। लेकिन एक दिन उसकी बेटी का किडनैप हो जाता है और उसे छोडऩे की एवज में किडनैपर अनुराधा से हाई कोर्ट में रेपिस्ट और मर्डरर नियाज शेख का केस लड़ने का सौदा करता है, जिसे पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। और इस काम के लिए अनुराधा के पास महज चार दिन का समय है। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के इस बवंडर में उलझी अनुराधा की मदद उसका बचपन का दोस्त डेकोरेटेड, लेकिन सस्पेंडेड पुलिस ऑफिसर योहान (इरफान खान) करता है। कुछ इंटरेस्टिंग ट्विस्ट, घटनाओं और संदेश के साथ कहानी अंजाम तक पहुंचती है।
प्लॉट इंटरेस्टिंग है, जिसे 'कांटे', 'मुसाफिर', 'जिंदा' जैसी थ्रिलर बनाने वाले संजय ने अपनी स्टाइल में मूवी में ढाला है। फिल्म की फास्ट पेस को बरकरार रखते हुए संजय और रॉबिन भट्ट ने इंसिडेंट्स और ट्विस्ट्स को रोचकता के साथ स्क्रीनप्ले में पिरोया है। बेबाक अंदाज में क्रिमिनल्स के केस लडऩे वाली वकील और मां के जज्बात भरे किरदार को निभाने की ऐश्वर्या ने अच्छी कोशिश की है। हालांकि कुछ इमोशनल सीन में उनकी एक्टिंग कमजोर लगी। ऐसे सीन में वे कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग करती नजर आईं, जबकि इन सीन में नैचरल एक्टिंग की दरकार थी। स्टनिंग ब्यूटी ऐश्वर्या अगर पूरी फिल्म में नैचरल एक्टिंग करती तो उनकी स्क्रीन प्रजेंस और दमदार होती। दूसरी ओर, इरफान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे कितने बेहतरीन और प्रतिभाशाली अभिनेता हैं। एक्टिंग के साथ उनके वन लाइनर्स और पंच-पैक्ड डायलॉग तालियों के हकदार हैं। 'मैं खुद लंगर की लाइन में खड़ा हूं, तेरे लिए दावत कहां से लाऊं', 'मोहब्बत है इसीलिए तो जाने दिया, जिद होती तो बाहों में होती', 'रिश्तों में भरोसा और मोबाइल में नेटवर्क ना हो तो लोग गेम खेलने लगते हैं', 'शराफत की दुनिया का किस्सा ही खत्म, अब जैसी दुनिया वैसे हम' जैसे कमलेश पांडे के लिखे डायलॉग फिल्म का प्लस पॉइंट हैं। रेप विक्टिम की मां के रोल में शबाना आजमी छाप छोड़ती हैं, लेकिन छोटे-से किरदार में जैकी श्रॉफ ने अपने टैलेंट को जाया किया है। सपोर्टिंग रोल में चंदन, अभिमन्यु सिंह, सिद्धांत कपूर, अतुल कुलकर्णी, प्रिया बनर्जी और सारा का काम ठीक-ठाक है। समीर आर्य की सिनेमैटोग्राफी अमेजिंग है। जिस ढंग से उन्होंने विभिन्न लोकेशंस को कैमरे से दर्शाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। बंटी नागी की एडिटिंग ठीक है, पर कुछ काट-छांट से फिल्म बैटर हो सकती थी। बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक कहानी के मिजाज के मुताबिक हैं। अगर आप ऐश्वर्या-इरफान के फैन हैं और संजय स्टाइल की थ्रिलर पसंद करते हैं तो 'जज्बा' वन टाइम वॉच मूवी है।
रेटिंग: ★★★
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