‘वेलकम...’ हंसाती है, लेकिन वो बात नहीं...


  • स्टार कास्ट : अनिल कपूर, नाना पाटेकर, जॉन अब्राहम, श्रुति हासन, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, डिम्पल कपाड़िया, अंकिता श्रीवास्तव, शाइनी आहूजा, राजपाल यादव, सुप्रिया कर्णिक, मुश्ताक खान
  • डायरेक्शन : अनीस बज्मी   
  • स्टोरी : राजीव कौल, अनीस बज्मी
  • म्यूजिक : अनु मलिक, मीत ब्रदर्स अंजान, अभिषेक रे, मीका सिंह

‘वेलकम’ (2007) के आठ साल बाद निर्देशक अनीस बज्मी इसका सीक्वल ‘वेलकम बैक’ लेकर आए हैं। ‘वेलकम’ में अनिल कपूर-नाना पाटेकर और अक्षय कुमार-परेश रावल की जोड़ी की कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया था। इसके सीक्वल में जॉन ने अक्षय को रिप्लेस किया है, लेकिन नए किरदार में। ओरिजिनल फिल्म बॉक्सऑफिस पर हिट रही थी, ऐसे में इस फ्रेंचाइजी की अगली फिल्म से दर्शकों की अनलिमिटेड एक्सपेक्टेशंस होना लाजिमी है। यह फिल्म मनोरंजन तो करती है, लेकिन एक लिमिट में। इसकी वजह है कमजोर स्क्रिप्ट, जिसमें किरदारों को ढंग से गढ़ने में चूक हो गई। इतना ही नहीं, फिल्म में कहीं न कहीं अक्षय की कमी भी खलती है, जिन्हें इस तरह की एक्शन-कॉमेडी फिल्मों में महारत हासिल है। 
कहानी में उदय शेट्टी (नाना पाटेकर) और मजनू भाई (अनिल कपूर) अब शरीफों की माफिक होटल बिजनेस चलाते हैं, लेकिन दोनों की जिंदगी में एक कमी है, वो है करवा चौथ पर छलनी के पीछे से उनका चेहरा देखने वाली पत्नी की। इस बात का फायदा उठाती है कॉन-वुमन महारानी ऑफ नजफगढ़ (डिम्पल कपाड़िया), जो अपनी बेटी चांदनी (अंकिता श्रीवास्तव) से दोनों को अपने प्रेम जाल में फांसने के लिए कहती है, ताकि उनसे धन ऐंठ सकें। दूसरी ओर, उदय पर एक और सौतेली बहन रंजना (श्रुति हासन) की शादी शरीफ खानदान में करवाने की जिम्मेदारी आ जाती है। इधर, डॉ. घुंघरू (परेश रावल) को पत्नी से पता चलता है कि उसका स्टेप-सन भी है और वह है मुम्बई का गुंडा अज्जू भाई (जॉन अब्राहम)। कुछ रोचक ट्विस्ट्स के साथ कहानी अनीस स्टाइल में क्लाइमैक्स तक पहुंचती है। इस दौरान कई ऐसे सीन भी हैं, जो पेट पकड़कर हंसने का मौका देते हैं। खासकर, ग्रैव्यार्ड में अंत्याक्षरी का सीक्वेंस हंसाते-हंसाते लोट-पोट कर देता है, लेकिन इसके बावजूद फिल्म में वो फन नहीं है, जिसकी उम्मीद लिए सिनेमाहॉल में एंट्री करते हैं। फर्स्ट हाफ बेहतर है, पर सैकंड हाफ में कहानी भटकी हुई लगती है। हालांकि जोक्स और वन लाइनर्स ने कॉमिक पंच का काम किया है।
   अनिल व नाना की कॉमिक टाइमिंग और केमिस्ट्री जबरदस्त है। परेश ने भी अच्छा अभिनय किया है। जॉन का काम ठीक है, पर कॉमिक सीन में उनकी अपनी सीमाएं हैं। श्रुति और डेब्यूटेंट अंकिता को एक्टिंग में खुद को तराशने की जरूरत है, वहीं डिम्पल ने अपना टैलेंट वेस्ट किया है। मूवी में वॉन्टेड भाई के किरदार में नसीर को प्रॉपर स्पेस नहीं मिला। ऐसा लगता है कि उनका किरदार लिखते समय कलम बीच-बीच में अटक गई हो। निर्देशन में अनीस की पकड़ ढीली है, जिससे फिल्म हिचकोले खाती है। कई म्यूजिक डायरेक्टर्स होने के बावजूद संगीत में दम नहीं है। कुछ गाने तो फिल्म की गति में अवरोध पैदा करते हैं। सिनेमैटोग्राफर कबीर लाल ने दुबई की लोकेशंस को अट्रैक्टिव अंदाज में फिल्माया है। बहरहाल, फिल्म कई मायनों में कमजोर है, लेकिन हंसाती भी है। ‘वेलकम बैक’ उन दर्शकों के लिए है, जो लॉजिक में उलझे बिना एंजॉयमेंट चाहते हैं।

रेटिंग: ½