‘ऑल…’ इज नॉट वैल
- स्टार कास्ट : ऋषि कपूर, अभिषेक बच्चन, असिन, सुप्रिया पाठक, मोहम्मद जीशान अयूब
- राइटर-डायरेक्टर : उमेश शुक्ला
- म्यूजिक : हिमेश रेशमिया, अमाल मलिक, मीत ब्रदर्स अंजान, मिथुन
निर्देशक उमेश शुक्ला ने अपनी पिछली फिल्म ‘ओह माय गॉड’ में गॉड का भय दिखाकर धर्म के नाम पर लूट-खसोट करने वालों को बेनकाब करने की कोशिश की थी, जिसे काफी पसंद किया गया। ऐसे में इस हफ्ते रिलीज फिल्म ‘ऑल इज वैल’ से दर्शकों की उम्मीदें बढ़ गई थीं, लेकिन यह उन पर खरी नहीं उतरती। हालांकि इस फिल्म में उमेश ने पौराणिक किरदार श्रवण कुमार से इंस्पायर होकर माता-पिता की सेवा का संदेश देने और परिवार का महत्व समझाने का प्रयास किया है, लेकिन स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन में खामियों के कारण सफल नहीं हो सका। फिल्म फैमिली एंटरटेनर न होकर, सिर्फ फैमिली ड्रामा बनकर रह गई है। कहानी में इंदर (अभिषेक बच्चन) की अपने पिता बेकरी ओनर मिस्टर भल्ला (ऋषि कपूर) से बिलकुल नहीं बनती है। हर बेटे के लिए उसका पिता हीरो होता है, जिससे वह अपनी कोई भी प्रॉब्लम शेयर कर सकता है। लेकिन इंदर को लगता है कि उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम ही पिता हैं। दोनों एक-दूसरे से बदतमीजी से पेश आते हैं। उनमें जमकर तू-तू मैं-मैं होती रहती है। यहां तक कि उन दोनों की लड़ाई से परेशान होकर फिल्म का एक किरदार कहता है, ‘तुम बाप-बेटे हो या बागड़ बिल्ले, सारे दिन लड़ते रहते हो।’ इतना ही नहीं, इंदर में इतनी नेगेटिविटी भर चुकी है कि वह अपनी लाइफ को पैरेंट्स की लाइफ से जोड़कर देखता है। इसी वजह से वह अपनी गर्लफ्रैंड निम्मी (असिन) से शादी नहीं करना चाहता। मूवी में पिता-पुत्र के रिश्ते की गहराई को खंगालने की नाकाम कोशिश है।
यह अभिषेक की लम्बे समय बाद सोलो हीरो फिल्म है, पर वे अपने कंधों पर आए इस बोझ को संभाल नहीं पाए। ऋषि की परफॉर्मेंस कामचलाऊ है, वहीं सुप्रिया पाठक के लिए यह फिल्म अपना टैलेंट वेस्ट करने जैसी है। असिन फिल्म में हीरोइन की औपचारिकता पूरी करती हैं। उनकी खूबसूरती और मुस्कान जरूर लुभाती है। मोहम्मद जीशान अपनी बचकाना हरकतों से कुछ दृश्यों में हंसाने में कामयाब रहे। स्क्रीनप्ले काफी लचर है। डायरेक्शन की डोर पर उमेश की पकड़ कमजोर है, जिससे उनकी यह पेशकश सिनेमा के शिल्प में खूबसूरती से ढल नहीं पाई। गीत-संगीत भी फिल्म का कमजोर पक्ष है। सोनाक्षी सिन्हा का आइटम नम्बर ‘नचा फर्राटे...’ भी अपनी तड़क-भड़क से इम्प्रेस करने में नाकामयाब रहा। ‘कयामत से कयामत तक’ (1988) के सॉन्ग ‘ऐ मेरे हमसफर...’ को फिल्म में रीक्रिएट किया गया है, जो थोड़ा सुकून देता है। ‘ऑल इज वैल’ में टाइटल को छोड़कर कुछ भी अच्छा नहीं है। लिहाजा अपनी रिस्क पर ही फिल्म देखने जाएं।
रेटिंग : ★
2 Comments
Bakwaas Movie
ReplyDeleteAll is not well
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