'पुष्पा'... वन मैन शो, पर उम्मीद जैसा उदय नहीं
- राइटिंग-डायरेक्शन: सुकुमार
- म्यूजिक: देवी श्री प्रसाद
- जॉनर: एक्शन थ्रिलर
- एडिटिंग: कार्तिका श्रीनिवास आर - रुबेन
- सिनेमैटोग्राफी: मिरोस्लॉ कुबा ब्रोजेक
- स्टार कास्ट: अल्लू अर्जुन, रश्मिका मंदाना, फहाद फाजिल, सुनील, राव रमेश, अनसूया भारद्वाज, धनंजय, दयानंद रेड्डी, राजशेखर अनिंगी, अजय घोष, जगदीश प्रताप बंडारी, शत्रु, सामंथा रुथ प्रभु
- रनिंग टाइम: 179 मिनट
टॉलीवुड स्टार अल्लू अर्जुन की बहुप्रतीक्षित तेलुगू फिल्म 'पुष्पा: द राइज' हिंदी समेत पांच भाषाओं में रिलीज की गई है। फिल्म पूरी तरह अल्लू का 'वन मैन शो' है। उनका स्वैग, बॉडी लैंग्वेज, पावर-पैक्ड एक्शन और पंच लाइंस असरदार हैं। हर दूसरे फ्रेम में वही नजर आते हैं। पहला हाफ रोचक है। दूसरे हाफ में यह मसाला स्क्रिप्ट मनोरंजन के ट्रैक से उतर जाती है। हालांकि फहाद फाजिल की एंट्री जबरदस्त ट्विस्ट है, जो दूसरे पार्ट 'पुष्पा: द रूल' के लिए थोड़ी जिज्ञासा पैदा करता है।
लाल चंदन की तस्करी...
शेषचलम के जंगल से लाल चंदन के पेड़ों की जमकर तस्करी हो रही है। पुष्पा राज (अल्लू अर्जुन) यहां पेड़ काटने वाला मजदूर है लेकिन 'झुकूंगा नहीं' वाले अपने एटीट्यूड के दम पर वह लाल चंदन तस्करी की दुनिया में धीरे-धीरे पैर जमाता जाता है। इस बीच उसे दूध बेचने श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) से पहली नजर में प्यार हो जाता है। वह उससे शादी के सपने संजोने लगता है। इधर, पुष्पा अपनी 'अकड़' वाले अंदाज की बदौलत ही लाल चंदन सिंडीकेट का लीडर भी बन जाता है जिससे दुश्मन भी बढ़ जाते हैं।
हाथ से छूटती पकड़...
सुकुमार ने चंदन तस्करी की पृष्ठभूमि पर बुनी गई कहानी को एक्शन, रोमांस और कॉमेडी के साथ पेश करने की कोशिश की है मगर पटकथा में कसावट की कमी है। इंटरवल के बाद सुकुमार की पकड़ निर्देशन और स्क्रीनप्ले दोनों से छूटती नजर आती है। फिल्म के आखिरी आधे घंटे में फहाद फासिल की एंट्री होती है। फहाद और अल्लू के दृश्यों से जो उम्मीद थी, वह अधूरी रह जाती है। फिल्म की ड्यूरेशन करीब तीन घंटे की है जो अखरती है। ढीली एडिटिंग से यह बोझिल और स्लो हो जाती है। देवी श्री प्रसाद का म्यूजिक इंटरेस्टिंग है। लोकेशंस अच्छी हैं, सिनेमैटोग्राफी कमाल की है।
अल्लू अर्जुन है 'जान'
अल्लू अर्जुन एक्टिंग, स्टाइल और एक्शन सीक्वेंस से फिल्म की 'जान' हैं। डी-ग्लैम रोल में रश्मिका मंदाना अच्छी लगी हैं, पर उन्हें स्क्रीन स्पेस ज्यादा नहीं मिला। रश्मिका मंदाना और अल्लू अर्जुन की लव स्टोरी इतनी इंटरेस्टिंग नहीं है। फहाद फाजिल स्मॉल स्क्रीन प्रजेंस में ही अपना असर छोड़ने में सफल रहे हैं। सुनील की परफॉर्मेंस अच्छी है। अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक-ठाक है। अल्लू के कैरेक्टर 'पुष्पा' के हिंदी डायलॉग की डबिंग अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने की है। इस मसाला फिल्म में प्लॉट या नैरेटिव में लॉजिक की तलाश करना बेमानी होगी। बस, जो स्क्रीन पर दिख रहा है, उसे एंजॉय करोगे तो तीन घंटे कट जाएंगे, वर्ना नजर इधर-उधर दौड़ानी पड़ेंगी।
रेटिंग: ★★★
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