एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे दीवानी लहरों को साहिल न मिला
- डायरेक्शन : शैली चोपड़ा धर
- स्टोरी-स्क्रीनप्ले : गजल धालीवाल, शैली चोपड़ा धर
- डायलॉग्स : गजल धालीवाल
- म्यूजिक : रोचक कोहली
- सिनेमैटोग्राफी : हिमान धामीजा, रंगराजन रामबदरान
- एडिटिंग : आशीष सूर्यवंशी
- स्टार कास्ट : अनिल कपूर, सोनम कपूर, जूही चावला, राजकुमार राव, अभिषेक दुहान, रेजिना कैसेंड्रा, बृजेन्द्र काला, सीमा पाहवा, मधुमालती कपूर
- कैमियो : अक्षय ओबेरॉय, कंवलजीत
- रनिंग टाइम : 120.35 मिनट
करीब 25 साल पहले आई विधु विनोद चोपड़ा निर्देशित-निर्मित और अनिल कपूर, मनीषा कोईराला, जैकी श्रॉफ स्टारर मूवी '1942 : ए लव स्टोरी' को काफी सराहना मिली थी। फिल्म का सॉन्ग 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...' आज भी लोगों की जुबां पर है। अब विधु ने इसी सॉन्ग को फिल्म का टाइटल बनाया है। इस फिल्म में एक संवेदनशील कहानी को प्रजेंट किया है। शैली चोपड़ा धर निर्देशित फिल्म 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' समलैंगिक रिश्तों के इर्द-गिर्द बुनी गई है। हालांकि फिल्म का सब्जेक्ट कंटेम्परेरी है, लेकिन उसे सिनेमाई कैनवास पर सलीके के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया। कहानी में पंजाब के मोगा में चौधरी गारमेंट्स के मालिक बलबीर चौधरी (अनिल कपूर) हैं। उनकी बेटी स्वीटी (सोनम कपूर) की शादी की बात चल रही है। इधर साहिल मिर्जा (राजकुमार राव) थिएटर राइटर है। इस बीच गफलत ऐसी होती है कि स्वीटी का भाई बबलू अपने पिता को बताता है कि स्वीटी का अफेयर किसी मुस्लिम से है। वहीं स्वीटी ने अपना एक सच सभी से छुपा रखा है। वह सच क्या है? इसी के इर्द-गिर्द कहानी आगे बढ़ती है।
क्यों देखें : 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' में सब्जेक्ट का प्रस्तुतिकरण जिस तरह से किया गया है, उसे देखकर लगता है कि जैसे दीवानी लहरों को साहिल नहीं मिल पाया है। इसमें जज्बात की गहराई मिसिंग है। बहरहाल यह एक औसत पेशकश है, लिहाजा इस अनएक्सपेक्टेड रोमांस को देखने या नहीं देखने का फैसला सोच-समझ कर लें।
मनोरंजन की पटरी पर सरपट नहीं दौड़ती
फिल्म का मूल आइडिया अच्छा है मगर उसका एग्जीक्यूशन परफेक्ट नहीं है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं है। इसमें काफी लूपहोल्स हैं, जिससे दर्शक कहानी से पूरी तरह कनेक्ट नहीं हो पाते। वहीं इमोशंस भी सतही हैं। डायरेक्टर शैली धर चोपड़ा ने अच्छी कोशिश की है, पर वह पूरी फिल्म पर पकड़ बरकरार नहीं रख पाई। इस कारण फिल्म मनोरंजन की पटरी पर सरपट दौड़ती नजर नहीं आती। फिल्म में पिता-पुत्री अनिल कपूर और सोनम कपूर की जोड़ी है। अनिल की परफॉर्मेंस एनर्जेटिक है। सोनम ने फिल्म में लेस्बियन गर्ल का रोल किया है, लेकिन वह भूमिका में पूरी तरह घुस नहीं पाई। राजकुमार राव की एक्टिंग इम्प्रेसिव है, वहीं जूही चावला अपने कॉमिक अंदाज से गुदगुदाती हैं। अभिषेक दुहान का काम ठीक-ठाक है। कैमियो में रेजिना कैसेंड्रा ठीक लगी हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम अच्छा है। गीत-संगीत कामचलाऊ है। एक-दो गाने अच्छे बन पड़े हैं। छायांकन आकर्षक है। संपादन सुस्त है और फिल्म की स्लो स्पीड बोर करती है।क्यों देखें : 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' में सब्जेक्ट का प्रस्तुतिकरण जिस तरह से किया गया है, उसे देखकर लगता है कि जैसे दीवानी लहरों को साहिल नहीं मिल पाया है। इसमें जज्बात की गहराई मिसिंग है। बहरहाल यह एक औसत पेशकश है, लिहाजा इस अनएक्सपेक्टेड रोमांस को देखने या नहीं देखने का फैसला सोच-समझ कर लें।
रेटिंग: ★★½
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