ये तो बिल्कुल भी 'जीनियस' नहीं

  • राइटिंग-डायरेक्शन : अनिल शर्मा
  • स्क्रीनप्ले : सुनील सिरवैया, अमजद अली
  • म्यूजिक : हिमेश रेशमिया
  • सिनेमैटोग्राफी : नजीब खान
  • एडिटिंग : अशफाक मकरानी
  • स्टार कास्ट : उत्कर्ष शर्मा, इशिता चौहान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मिथुन चक्रवर्ती, आएशा जुल्का, अभिमन्यु सिंह, जाकिर हुसैन, के. के. रैना
  • रनिंग टाइम : 165 मिनट
'गदर' फेम डायरेक्टर अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा ने फिल्म 'जीनियस' से बतौर हीरो बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इस फिल्म में रोमांस, एक्शन, देशप्रेम, म्यूजिक जैसे तमाम मसाले हैं, लेकिन लगता है कि अनिल बेटे की धमाकेदार लॉन्चिंग के चक्कर में इनके सही कॉम्बिनेशन पर ध्यान देने से चूक गए, जिससे सब गुड़ गोबर हो गया। यही वजह है कि फिल्म कहीं से भी जीनियस नहीं लगती। कहानी में वासुदेव शास्त्री (उत्कर्ष शर्मा) आईआईटी में जीनियस स्टूडेंट है और वह अपनी सहपाठी नंदिनी चौहान (इशिता चौहान) का दीवाना है, लेकिन नंदिनी का फोकस अपने कॅरियर पर है। वह हमेशा टॉप रैंक लाने पर ही ध्यान देती है। वासु का प्रेम थोड़े अलग किस्म का है। यही नहीं, जीनियस होने के साथ वह संस्कृत में मंत्रोच्चार भी करता है। आईआईटी के बाद नंदिनी यूएस चली जाती है जबकि वासु रॉ जॉइन कर लेता है। ट्विस्ट तब आता है जब कहानी में एमआरएस (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की एंट्री होती है।

अनिल शर्मा हर मोर्चे पर रहे फेल

अनिल शर्मा न तो कहानी में कमाल दिखा सके और न ही डायरेक्शन पर स्ट्रॉन्ग पकड़ रख सके। इसका प्रजेंटेशन भी बेहद साधारण है। फिल्म का जोनर भले ही एक्शन थ्रिलर है, लेकिन कहीं भी रोमांच की अनुभूति नहीं होती। 'गदर' में सनी देओल-अमीषा पटेल के क्यूट बेटे का रोल निभाने वाले उत्कर्ष का 'वो' चार्म इस फिल्म में गायब है। पहली फिल्म में उत्कर्ष ने हालांकि अपनी तरफ से कोशिश की है, लेकिन उन्हें अभी एक्टिंग में काफी मेहनत करने की जरूरत है। वहीं डेब्यू एक्ट्रेस इशिता की एक्टिंग में एक्सप्रेशन ही नहीं हैं। वह सिर्फ ग्लैम गर्ल के रूप में ही नजर आई हैं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी से इतने कमजोर रोल की उम्मीद नहीं थी। मिथुन चक्रवर्ती और आएशा जुल्का के रोल पर काम ही नहीं किया गया। के.के. रैना और अभिमन्यु सिंह का काम भी ठीक-ठाक है। फिल्म में संपादन की खूब गुंजाइश है, वहीं फिल्मांकन साधारण है।

क्यों देखें  : बेदम कहानी, बेअसर निर्देशन, ओल्ड स्टाइल प्रजेंटेशन, कमजोर एक्टिंग, कामचलाऊ गीत-संगीत और 165 मिनट की लेंथ ने 'जीनियस' को फिसड्डी बना दिया है। अगर अपने दिल और दिमाग को तंदुरुस्त बनाए रखना है तो 'जीनियस' से कर लें तौबा...!

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