रणबीर-डिप्पी की सिजलिंग केमिस्ट्री का मजेदार 'तमाशा'


  • स्टार कास्ट : रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, पीयूष मिश्रा, यश सहगल, विवेक मुश्रान, जावेद शेख, इश्तियाक खान, सुषमा सेठ
  • राइटर-डायरेक्टर : इम्तियाज अली  
  • लिरिसिस्ट : इरशाद कामिल
  • म्यूजिक डायरेक्टर : ए. आर. रहमान
इम्तियाज अली को अपनी फिल्मों की कहानी के डिफरेंट ट्रीटमेंट के लिए जाना जाता है। इसीलिए उनका अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। 'सोचा ना था', 'जब वी मेट', 'लव आज कल', 'रॉकस्टार' और 'हाइवे' जैसी उनकी फिल्में कहानी के अलग स्टाइल में प्रजेंटेशन के कारण ही दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही। अब उन्होंने रोमांटिक ड्रामा 'तमाशा' में भी अपनी उसी स्टाइल को बरकरार रखा है, जिसमें रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की जबरदस्त केमिस्ट्री तड़का लगाती है। फिल्म की टैग लाइन है 'वाय ऑलवेज द सेम स्टोरी?' लिहाजा उन्होंने इस लव स्टोरी को बरसों से चली आ रही कहानियों से अलग बनाने की कोशिश की है। कहानी में एक-दूसरे से अनजान लड़का और लड़की कोर्सिका (फ्रांस) में मिलते हैं। लड़का जो कि कहानियां सुनने और सुनाने में दिलचस्पी रखता है, कहता है कि हर कहानी आगे जाकर सेम हो जाती है, इसलिए हम एक दूसरे को अपना असली नाम-पता नहीं बताएंगे और यहां से जाने के बाद कभी नहीं मिलेंगे। इस तरह वे छद्म नामों के साथ कुछ दिन कोर्सिका में जमकर मटरगश्ती करते हैं। आखिर वह दिन आ जाता है, जब दोनों अपनी-अपनी राह पकड़ते हैं। फिर कहानी दिलचस्प मोड़ के साथ आगे बढ़ती है।
फिल्म का ट्रम्प कार्ड है रणबीर-दीपिका की सिजलिंग केमिस्ट्री। 'बचना ऐ हसीनो', 'ये जवानी है दीवानी' में साथ आ चुकी इस जोड़ी की केमिस्ट्री 'तमाशा' में और बेहतर लगी है। लगातार तीन फ्लॉप 'बेशरम', 'रॉय' और 'बॉम्बे वेलवेट' दे चुके रणबीर की परफॉर्मेंस पावरफुल है। फर्स्ट हाफ में वे मस्तीखोर लड़के के रूप में नजर आए हैं, जो अपनी बातों, फिल्मी डायलॉग, देव आनंद की मिमिक्री और बिंदासपन से हंसाता है, वहीं सैकंड हाफ में वे वैल बिहेव्ड, पोलाइट, डीसेंट और मेट्रो सिटी में कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले शख्स के तौर पर हैं। यही नहीं, फिल्म में उनका अग्रेशन भी इम्प्रेस करता है। एक बार फिर दीपिका अपनी स्क्रीन अपीयरेंस और एक्टिंग से दिल जीतने में कामयाब रही हैं। रणबीर-दीपिका ने सहजता से खुशी-गम के भाव बयां किए हैं। सपोर्टिंग रोल में पीयूष मिश्रा, विवेक मुश्रान और इश्तियाक खान फिट हैं। फिल्म का वीक पॉइंट है स्क्रिप्ट, जो और क्रिस्प हो सकती थी। कुछ सीन को बेवजह खींचा गया है, जिससे फिल्म की गति पर असर पड़ता है। फिल्म में और भी कई कमियां हैं, लेकिन इसके बावजूद इम्तियाज ने अपने निर्देशकीय कौशल से मजेदार तमाशा रचा है। उन्होंने रोमांस, कॉमेडी, इमोशंस और ड्रामा को खूबसूरती से सिनेमैटिक क्राफ्ट में ढालकर अच्छे फ्लेवर का कॉकटैल बनाया है। इम्तियाज की फिल्मों की एक और खासियत होती है, वह है जर्नी। इस फिल्म की भी कहानी कोर्सिका, शिमला, कोलकाता, नई दिल्ली और टोक्यो से होकर गुजरती है। इन शहरों का फिल्मांकन आकर्षक है, खासकर कोर्सिका की ब्यूटी को सिनेमैटोग्राफर एस. रवि वर्मन ने उम्दा ढंग से फिल्माया है। गीत-संगीत एनर्जेटिक और मेलोडियस है। 'अगर तुम साथ हो', 'मटरगश्ती', 'हीर तो बड़ी सैड है' और 'वट वट वट' सॉन्ग्स यूथ में हिट हैं। ए. आर. रहमान ने इरशाद कामिल के खूबसूरती से पिरोये लफ्जों को मिठास और यूथ की पसंद को ध्यान में रखते हुए धुनों में ढाला है।  बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के रोमांटिक मिजाज को बनाए रखता है। रणबीर-दीपिका की केमिस्ट्री व एक्टिंग, मनमोहक लोकेशंस और इम्तियाज के निर्देशन की अलग शैली पसंद करने वालों को मनोरंजक लगेगा यह 'तमाशा'।

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