सिर्फ सलमान की 'प्रेम' लीला
- स्टार कास्ट : सलमान खान, सोनम कपूर, नील नितिन मुकेश, अनुपम खेर, स्वरा भास्कर, दीपक डोबरियाल, अरमान कोहली, दीपराज राणा, आशिका भाटिया, संजय मिश्रा, समायरा राव
- स्टोरी, स्क्रीनप्ले एंड डायरेक्शन : सूरज बड़जात्या
- म्यूजिक : हिमेश रेशमिया
- लिरिक्स : इरशाद कामिल
फिल्म में सलमान डबल रोल में हैं। एक किरदार अयोध्या में रहने वाले प्रेम दिलवाले का है, जो रामलीला में काम करता है तो दूसरा है प्रीतमपुर के युवराज विजय सिंह का, जिसका राजतिलक होने वाला है, लेकिन पैतृक सम्पत्ति को लेकर सौतेले भाई अजय सिंह (नील नितिन मुकेश) और सौतेली बहन चंद्रिका (स्वरा भास्कर) व राधिका (आशिका भाटिया) के साथ उसके उलझे हुए रिश्ते हैं। रिश्तों में खटास इस कदर है कि अजय उसे अपने रास्ते से हटाने के लिए षड्यंत्र रचता है। यह उलझे हुए रिश्तों की पारिवारिक कहानी है, जिसे फंतासी के साथ सहेजा गया है। सलमान ने दोहरी भूमिका के मिजाज को भांपते हुए स्क्रिप्ट के मुताबिक अच्छा काम किया है, खासकर प्रेम दिलवाले के रोल में उनकी मासूमियत और शरारत भरा अंदाज इम्प्रेसिव है। फर्स्ट फ्रेम से ही वे दर्शकों को अपने 'प्रेम' जाल में जकड़ लेते हैं और दर्शकों को मनोरंजन रूपी खुशियां बांटते रहते हैं। राजकुमारी मैथिली के रोल में सोनम कपूर अपनी अदाओं और भाव-भंगिमाओं से लुभाने में कामयाब रही हैं। नील के कैरेक्टर को प्रॉपर स्पेस नहीं दिया गया। उनके हिस्से चंद सीन ही आए हैं। प्रीतमपुर के दीवान की भूमिका अनुपम खेर ने संजीदगी से निभाई है। भाई से रंजिश रखने वाली बहन के रोल में स्वरा ने अपनी नाराजगी बखूबी जाहिर की है। दीपक डोबरियाल अपनी स्क्रीन प्रजेंस और कॉमिक टाइमिंग से हंसाने में सफल रहे हैं, वहीं नेगेटिव रोल में अरमान कोहली औसत हैं। सपोर्टिंग रोल में दीपराज राणा, आशिका और संजय मिश्रा फिट हैं।
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी स्क्रिप्ट और स्पीड है, जो और क्रिस्प हो सकती थी। सूरज ने भव्यता पर ध्यान देने के चक्कर में स्क्रिप्ट की खामियों को नजरअंदाज कर दिया। इस फंतासी में कुछ सीन ऐसे हैं, जो ज्यादा ही नाटकीय हैं, वहीं कुछ ऐसी चीजें दिखाई गई हैं, जो तर्क से परे हैं। फिल्म सलमान को फोकस करके बनाई गई है और वे ही हिचकोले खाती स्क्रिप्ट की लाइफलाइन हैं, जो हंसाते भी हैं तो कुछ दृश्यों में भावुक भी कर देते हैं। इतना ही नहीं, बीच-बीच में पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों का सबक भी दे जाते हैं। हिमेश रेशमिया का संगीत औसत है, जिसमें मेलोडी का अभाव है। गाने बैक टु बैक आते रहते हैं, पर उनमें से 'आज उनसे मिलना है...' और टाइटल ट्रैक ही अच्छा है। कुछ गाने फिजूल के हैं, जो फिल्म की गति में बाधक हैं और उसे बोझिल बनाते हैं। फिल्म की लम्बाई भी परेशानी का सबब है। लगभग तीन घंटे की मूवी में एडिटिंग की काफी गुंजाइश थी। शीश महल जैसे भव्य सैट्स, शानदार कॉस्ट्यूम, बेहतरीन लोकेशंस और आकर्षक सिनेमैटोग्राफी के बावजूद सूरज की पुरानी फिल्मों जैसी चमक 'प्रेम...' में नजर नहीं आती। हालांकि सूरज ने साफ-सुथरी पारिवारिक फिल्म बनाई है, जो फैमिली ड्रामा पसंद करने वालों और सलमान के फैंस के लिए है।
रेटिंग: ★★½
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